गोवा- झारखंड में कांग्रेस के साथ होने जा रहा है बड़ा खेला? भाजपा के चक्रव्यूह से निकलना है मुश्किल

अब तक कई झटके खा चुकी कांग्रेस को ताजा झटका गोवा और झारखंड में लगने वाला है। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी की सरकार गिरने के बाद पड़ोसी राज्य गोवा में कांग्रेस टूट की कगार पर है ।

111

कांग्रेस के कमजोर होने का सिलसिला जारी है । अब तक कई झटके खा चुकी कांग्रेस को ताजा झटका गोवा और झारखंड में लगने वाला है। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी की सरकार गिरने के बाद पड़ोसी राज्य गोवा में कांग्रेस टूट की कगार पर है । पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गोवा में कांग्रेस विधायकों की बगावत पर काबू पाने के लिए सांसद मुकुल वासनिक को गोवा भेज दिया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दो विधायक माइकल लोबो और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर पार्टी के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। फिलहाल इस टूट से बचने के लिए कांग्रेस ने अपने विधायकों को अज्ञात स्थान पर भेज दिया है । 40 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस के 11 विधायक हैं। खबर है कि इनमें से कई विधायक बीजेपी में शामिल होने का मन बना चुके हैं।

झारखंड में कांग्रेस के हाथ से जाएगी सत्ता
कांग्रेस को दूसरा झटका झारखंड में लगने वाला है। दिल्ली और रांची के सियासी गलियारों में जारी चर्चा के अनुसार झारखंड की ढाई साल पुरानी सरकार पर संकट मंडरा रहा है। हालांकि बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने पत्ते नही खोल रही है । भाजपा ने राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को मैदान में उतार कर बड़ा दांव चला है । झारखंड में आदिवासियों की बड़ी आबादी है। आदिवासी अस्मिता के नाम पर झामुओ और कांग्रेस के बीच खटास पैदा हो गई है । द्रौपदी मुर्मू के झामुमो नेतृत्व के साथ मधुर संबंध हैं और झामुमो राष्ट्रपति पद के लिए उनका समर्थन कर चुकी है । जबकि कांग्रेस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का दबाव बना रही है । दूसरी तरफ झारखंड में ईडी के छापों ने भी झारखंड सरकार के लिए मुश्किले पैदा कर दी है।

2012 जैसी स्थिति
भाजपा के राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी दांव चलने से झारखंड में 2012 जैसी स्थिति पैदा हो गई है । 10 वर्ष बाद अंतर सिर्फ इतना है कि किरदार बदल गए हैं । 2012 के राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा ने आदिवासी नेता पी.ए. संगमा को अपना प्रत्याशी बनाया था । बीजेपी और झामुमो के बीच समझौता था लेकिन झामुमो ने बीजेपी को दरकिनार करते हुए कांग्रेस के प्रत्याशी प्रणव मुखर्जी को अपना समर्थन दिया था। इस कारण विवाद इतना बढ़ गया था कि बीजेपी और झामुमो का गठबंधन टूट गया था । झामुमो और कांग्रेस के बीच तल्खी राज्य सभा चुनावों में ही दिखाई देने लगी थी । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिना कांग्रेस को विश्वास में लिए ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। अब उसका दूरगामी परिणाम होता दिख रहा है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.