पंजाब कांग्रेस क्राइसिसः क्या समिति दूर कर पाएगी पार्टी हाई कमान का सिरदर्द?

पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के मुद्दे पर पिछले साढ़े चार साल से तथाकथित निष्क्रियता को लेकर अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता, विधायक और मंत्री निशाना साध रहे हैं। इसे लेकर आए दिन मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी और बैठकों का दौर जारी है।

142

पंजाब कांग्रेस में जारी अंदरुनी कलह के कारण मंत्रिमंडल में बदलाव संभव है। इसके बावजूद इसका पार्टी पर काफी असर पड़ने की बात कही जा रही है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के मुद्दे पर पिछले साढ़े चार साल से तथाकथित निष्क्रियता को लेकर अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता, विधायक और मंत्री निशाना साध रहे हैं। इसे लेकर आए दिन मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी और बैठकों का दौर जारी है।
इस कलह पर काफी दिनों तक मौन साध रखे पार्टी हाई कमान ने आखिरकार अपनी सक्रियता दिखाई है।

पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 28 मई को इस कलह को दूर करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति में पंजाब मामलों के पार्टी प्रभारी हरीश रावत, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जय प्रकाश अग्रवाल शामिल हैं।

मंत्री बनने के लिए उत्साहित नहीं
2022 में होने वाले विधानभा चुनाव के मद्देनजर अब कांग्रेसी नेता कैबिनेट में शामिल होने के लिए ज्यादा उत्साहित नहीं दिख रहे हैं। लेकिन सरकार और सीएम पर लगातार किए जा रहे इनके हमले से इस चुनाव में पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी होती दिख रही हैं। रावत पहले भी सिद्धू और सीएम की कई मुलाकात करा चुके हैं। उन्होंने सिद्धू को मंत्री बनाकर अंतकर्लह को समाप्त करने की दिशा में काफी कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हो सके।

ये भी पढ़ेंः पंजाब चुनाव 2022ः कांग्रेस के लिए ऐसे बज रही है खतरे की घंटी!

सिद्धू की चाहत
बताया जा रहा है कि सिद्धू उपमुख्मंत्री या पार्टी अध्यक्ष बनना चाहते हैं, लेकिन कैप्टन को ये मंजूर नहीं है। उन्होंने एक बयान में स्पष्ट रुप से कहा था कि साढ़े चार साल पहले पार्टी में शामिल होने वाले किसी नेता को प्रदेश का पार्टी अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता।

कैप्टन ने कही ये बात
सीएम ने कहा कि सुनील जाखड़ पार्टी को अच्छी तरह चला रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि सिद्धू को पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने से नेताओं में गलत संदेश जा सकता है। मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों ही जाट समुदाय के नहीं हो सकते। इसलिए अगर जाखड़ को हटाया जाएगा को किसी अन्य समुदाय के नेता की तलाश करनी होगी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस विजय इंद्र सिंगला और मनीष तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर विचार कर रही है। इसके आलावा दो कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए जाएंगे। इसमें सभी समुदायों को संतुष्ट करने की कोशिश की जाएगी।

भाजपा की बड़ी घोषणा
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी मौके पर चौके-छक्के लगाने की कोशिश में है। उसने 2022 में सभी 117 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के साथ ही दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा कर दूसरी पार्टियों को असमंजस में डाल दिया है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.