मनपा के बाद अब जिलाधिकारी कार्यालय में भी नारायण-नारायण, केंद्रीय मंत्री राणे को नई नोटिस

नारायण राणे और सत्ताधारी शिवसेना के बीच तनातनी का काल समाप्त नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री को लेकर टिप्पणी पर गिरफ्तारी से शुरू हुई अनबन राणे के निवास पर कार्रवाई तक पहुंच गई है। इसके पहले अभिनेत्री कंगना रानौत के कार्यालय पर तोड़क कार्रवाई हो चुकी है।

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भाजपा नेता नारायण राणे के निवास को लेकर प्रशासन द्वारा नारायण-नारायण की मुद्रा बदल ही नहीं रही है। मुंबई महानगर पालिका द्वारा उनके बंगले अधीश को पहले ही नोटिस दी गई है, अब जिलाधिकारी कार्यालय ने तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) के उल्लंघन के आरोप में नोटिस दी है।

जिलाधिकारी कार्यालय ने नोटिस में नारायण राणे को 10 जून को सुनवाई के लिए प्रस्तुत होने का निर्देश दिया है। नारायण राणे को वर्ष 2007 में पर्यावरण मंत्रालय ने जुहू स्थित बंगले के लिए अनुमति दी थी, लेकिन मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने नोटिस में दो शर्तों का उल्लंघन किए जाने का उल्लेख किया है। बंगले में तय निर्माण कार्य से अधिक निर्माण कार्य किए जाने का भी दावा किया गया है।

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आरटीआई कार्यकर्ता ने उठाया प्रकरण
आरटीआई कार्यकर्ता संतोष दौंडकर ने नारायण राणे के बंगले के निर्माण कार्य में सीआरजेड नियमों का उल्लंघन करने की शिकायत मुंबई नगर निगम तथा जिलाधिकारी कार्यालय में की थी। इस कारण मुंबई नगर निगम ने बंगले का सर्वेक्षण कर यहां हुए अवैध निर्माण कार्य पर खुद कार्रवाई करने का निर्देश नारायण राणे को दिया है साथ ही मुंबई नगर निगम ने नारायण राणे को यह भी कहा है कि, यदि बंगले में अवैध निर्माण कार्य को राणे ने नहीं हटाया तो मुंबई नगर निगम कार्रवाई करेगा और सारा खर्च नारायण राणे से वसूलेगा।

न्यायालय से राणे को राहत
मुंबई मनपा द्वारा दी गई नोटिस को लेकर नारायण राणे ने न्यायालय की शरण ली है। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 22 मार्च, 2022 को मुंबई महानगर पालिका को आदेश दिया था कि, वह दबाव या बदले की भावना में कोई कार्रवाई न करे। नारायण राणे ने अधीश बंगले में किये गए अतिरिक्त निर्माण को नियमित करने के लिए प्रस्ताव मनपा के समक्ष प्रस्तुत किया है। उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार जब तक अधीश बंगले को नियमित किये जाने के संदर्भ में निर्णय नहीं होता कोई भी कार्रवाई करने पर रोक है।

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