महाराष्ट्र: मिस्टर सीएम ने किया गेम ओवर

महाराष्ट्र में सत्ता पक्ष में मचा राजनीतिक रण थम गया है। इसमें विशेष बात यह रही कि, रण में जीतने और हारनेवाले शिवसेना के ही थे।

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महाराष्ट्र में पिछले नौ दिनों से चल रहे राजनीतिक उथलपुथल के एक भाग पटाक्षेप हो गया है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्यपाल के विश्वास मत प्राप्ति के निर्देश का समर्थन किये जाने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। इसका दूसरा भाग अब अगली सरकार के गठन से शुरू होगा। अब महाविकास आघाड़ी सरकार का मिस्टर सीएम ने ही गेम ओवर कर दिया है। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे ने अपने विधान परिषद की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया है।

सर्वोच्च न्यायालय में झटके के बाद ठाकरे शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। विधान सभा चुनावों में 55 विधान सभा में मिली जीत के बाद शिवसेना ने तेवर बदले थे। भाजपा के साथ चुनाव लड़नेवाली शिवसेना ने अपने चिर प्रतिद्वंदी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया और महाविकास आघाड़ी का गठन कर सत्ता में स्थापित हुई। अब मुख्यमंत्री पद छोड़ने के साथ ही उद्धव ठाकरे ने अपनी विधान परिषद सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया है।

संसदीय प्रक्रिया में पहले ठाकरे
महाविकास आघाड़ी के गठन के बाद जो सत्ता अस्तित्व में आई, उसके मुख्यमंत्री बने शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे। वे ठाकरे परिवार के पहले सदस्य हैं, जिन्होंने संसदीय प्रक्रिया में शामिल होने का निर्णय लिया, उनका साथ दिया पुत्र आदित्य ठाकरे ने। आदित्य ठाकरे ने वरली विधान सभा सीट से चुनाव लड़कर जीत प्राप्त किया और मुख्यमंत्री पिता की कैबिनेट में पर्यटन मंत्री बन गए।

अचानक आई असंतोष की आंधी
राज्य सरकार ढाई वर्ष चलती रही, राज्य सरकार की धमनियों में दौड़नेवाले रक्त की गति और दिल की लय पहचानने का दावा करने लगे थे मुख्यमंत्री उद्ध ठाकरे। परंतु, इसमें वे पार्टी की बिगड़ती लय को भूल गए। विधान परिषद चुनाव के बाद अचानक एक भूकंप आया और शिवसेना विधायकों का एक गुट असंतुष्ट होकर राज्य के बाहर चला गया। असंतुष्ट विधायकों को सूअर, गंदगी, लाश जैसे उल्लेखों से अपमानित करनेवाले शिवसेना नेताओं को तब और झटका लगा जब उनके साथ बैठे मंत्री और विधायक भी साथ छोड़कर असंतुष्ट गुट में जा मिले।

पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे और मुख्य प्रवक्ता संजय राऊत के बिगड़े बोल लगातार चल रहे हैं, तो दूसरी ओर विधायकों के परिवारों से मातोश्री से फोन करके संवेदनाएं जताई जाने लगी थी, परंतु, हुआ वही, पीछे पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत…

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