उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर चीन ने नाराजगी जताई है। भारत ने चीन की आपत्ति का जवाब देते हुए कहा है, ‘हम ऐसी टिप्पणियों को खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। भारतीय नेता नियमित रूप से राज्य का दौरा करते हैं, जैसा कि वे भारत के किसी अन्य राज्य में करते हैं।’
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू 9 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर थे। यात्रा के दौरान उन्होंने राज्य विधानसभा के विशेष सत्र को भी संबोधित किया। सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने अरुणाचल प्रदेश की विरासत के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, ‘हाल के वर्षों से इस प्रदेश में परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं और विकास को गति दिया जा रहा है।’
Vice President being accorded a traditional welcome on his arrival in Arunachal Pradesh today.
He was received by the Governor of Arunachal Pradesh, Brig (Dr) B.D. Mishra (Retd.), Chief Minister, Shri Pema Khandu, Speaker, Shri Pasang Dorjee Sona & others at Itanagar Helipad. pic.twitter.com/O1y1MvB4Yi
— Vice President of India (@VPIndia) October 8, 2021
सदमे में चीन
उप राष्ट्रपति के दौरे से चीन को गहरा सदमा पहुंचा है। बीजिंग ने कहा कि उसने अरुणाचल प्रदेश को राज्य के रूप में मान्यता नहीं दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने उप राष्ट्रपति के दौरे पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘सीमा मुद्दे पर चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है। भारत सरकार द्वारा एकतरफा और अवैध रूप से स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को चीनी सरकार ने कभी मान्यता नहीं दी और इस क्षेत्र में भारतीय नेता के आने का कड़ा विरोध हो रहा है।”
चीन ने ये कहा
लिजियन ने आगे कहा, “हम भारत से चीन की मूल चिंताओं का ईमानदारी से सम्मान करने का आग्रह करते हैं। कोई भी कार्रवाई, जो सीमा मुद्दे को जटिल और विस्तारित करती है, उसे रोका जाना चाहिए और आपसी विश्वास तथा द्विपक्षीय संबंधों से आगे बढ़ना चाहिए। भारत-चीन सीमा और द्विपक्षीय संबंध एक मजबूत और स्थिर विकास की ओर बढ़ने में मदद कर रहे हैं।”
भारत का कड़ा जवाब
चीनी प्रवक्ता के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “एक नेता के भारतीय राज्य में दौरे पर चीन की आपत्ति अनावश्यक है और भारतीय नागरिकों की समझ से परे है। हमने चीन के आधिकारिक प्रवक्ता का बयान देखा है। हम ऐसी चीजों को खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है।”
पुराना है विवाद
अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के साथ भारत का विवाद बहुत पुराना है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है। दोनों देश 3,500 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। 1962 में सीमा विवाद को लेकर दोनों देश युद्ध हो चुका है, लेकिन सीमा के कुछ हिस्सों में अभी भी विवाद है, जो कभी-कभी तनाव का कारण बनते हैं।
मैकमोहन रेखा को नहीं मानता चीन
मैकमोहन रेखा चीन और भारत की सीमा बीच मौजूद है। इसे आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय लाइन माना जाता है। लेकिन चीन इसे मानने से इनकार करता रहा है। चीन का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। 1950 के दशक में तिब्बत पर चीन के जबरन कब्जे के बाद 1962 के युद्ध के बाद से इसने सैकड़ों किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। इसके बावजूद अन्तर्राष्ट्रीय मानचित्रों में अरुणाचल को भारत का अंग माना जाता है।