झारखंड: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 5 सितंबर को बुलाया विधानसभा सत्र

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झारखंड में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। निर्वाचन आयोग की चिठ्ठी को लेकर संशय बरकरार लाभ के पद के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की भाजपा की याचिका के बाद निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को अपना निर्णय झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को भेज दिया है। लेकिन पिछले 10 दिनों से ये पत्र राजभवन में आया हुआ है , लेकिन इस पत्र में क्या है इसको सार्वजनिक नहीं किया गया है। इसको लेकर राज्यपाल रमेश बैस पर भी सवाल खड़े हो रहे है। बताया जा रहा है कि राज्यपाल के एक दो दिनों में इस पत्र को जारी करेगे। झारखंड की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यूपीए ने राजभवन द्वारा पत्र के लीक होने का सवाल खडे किए है । सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का का आरोप है कि बीजेपी राज्य सरकार को अस्थिर करना चाहती है। राजभवन से निर्वाचन आयोग के पत्र की जानकारी लीक होने से राज्य में व्यवस्था, भ्रम, अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 5 सितंबर को बुलाया विधानसभा सत्र

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर बन रही अनिश्चितता के बीच राज्य का 5 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। वीरवार को कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया है। संख्याबल के हिसाब से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को कोई खतरा नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार सुशील राजेश कहते है कि लाभ के पद के मामले में मुख्यमंत्री हेंमत सोरेन का विधायक पद जा सकता है। वो दोबारा से चुनाव लड़कर अपनी वापसी कर सकते हैं। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनी गांधी ने लाभ के पद के चलते अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा देकर दोबारा से संसद चुनकर आई थी। ऐसे में यूपीए सरकार को कोई खतरा नही है ।

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सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा झामुमो, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल गठबंधन के 51 सदस्य हैं। बीजेपी के 25 विधायक हैं, जबकि सहयोगी दलों के 5 विधायक है । वरिष्ट पत्रकार सुशील कुमार का कहना है कि झारखंड में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को कोई खतरा नही है । संख्याबल के हिसाब से बीजेपी का सरकार बनाना मुश्किल है तब झामुओं

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