छत्तीसगढ़ः कांग्रेस विधायक ने अपनी ही सरकार को घेरा, डीएमएफ फंड को लेकर लगाए गंभीर आरोप

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं। प्रदेश में सत्तापक्ष के एक विधायक ने अपनी ही सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम ने 13 मार्च को विधानसभा में अपनी ही सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि डीएमएफ फंड (जिला खनिज न्यास निधि) के काम में सात करोड़ की बंदरबांट हुई है। बजट सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही प्रश्नकाल में मोहन मरकाम ने अपनी ही सरकार को सवालों में घेरा। उन्होंने कोंडागांव में डीएमएफ फंड के बंटवारे में बंदरबांट करने का आरोप लगाया है। सवाल किया गया कि आरईएस निर्माण एजेंसी है तो कब से सरकार में सप्लाई का काम कर रही है।

मोहन मरकाम ने मंत्री रविंद्र चौबे से पूछा, क्या इसमें जांच कराएंगे। क्या निर्माण एजेंसी सप्लाई का काम कर रही है। 7 करोड़ डीएमएफ के पैसे का बंदरबाट किया गया है। एक ही अधिकारी को बहुत से पद पर बैठाया गया है।

विपक्ष ने मांगा मंत्री से त्याग पत्र
इस पर विपक्ष के सदस्य शिवरतन ने कहा कि खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आरोप लगा रहे हैं। मंत्री को इस पर त्याग पत्र दे देना चाहिए। मोहन मरकाम ने कहा कि जिस जगह की बात कर रहा हूं,वहां डीएमए फंड का 7 करोड़ का काम केवल कागज़ों पर है। जो एजेन्सी काम देख रही है वही सामानों की सप्लाई भी कर रही है। 7 करोड़ की बंदरबांट हो गई है। क्या विधानसभा की कमेटी से इसकी जांच करवाई जाएगी? क्या दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होगी? मरकाम व्दारा लगाए गए इस आरोप में विपक्षी भाजपा विधायक बराबर से उनके साथ खड़े नज़र आए।

प्रश्नकाल में मोहन मरकाम ने पूछा-
प्रश्नकाल में मोहन मरकाम ने पूछा था कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग कोंडागांव (पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग) को पिछले 2 वित्तीय वर्ष एवं वर्तमान वित्तीय वर्ष में 31 जनवरी 2023 तक जिला निर्माण समिति कोंडागांव व्दारा कौन-कौन से कार्य कितनी राशि के आबंटित किए गए? आबंटित कार्य किस-किस विभाग से संबंधित थे? कार्य का प्रकार क्या था? पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे की ओर से जवाब आया कि इस अवधि में जिला निर्माण समिति कोंडागांव द्वारा कोई कार्य आबंटित नहीं किया गया। मोहन मरकाम ने कहा कि जिस जगह की बात कर रहा हूं वहां डीएमएफ फंड का 7 करोड़ का काम केवल कागज़ों पर है। जो एजेन्सी काम देख रही है वही सामानों की सप्लाई भी कर रही है। 7 करोड़ की बंदरबांट हो गई है। क्या विधानसभा की कमेटी से इसकी जांच करवाई जाएगी? क्या दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होगी?

भाजपा विधायक ने उठाया सवाल
भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि यह आरोप कोई और नहीं सीधे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि पूरे प्रदेश में डीएमए फंड का यही हाल है। इसकी जांच होनी चाहिए। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि क्या निर्माणकर्ता एजेन्सी को सामानों की सप्लाई करने का भी अधिकार है।

मंत्री ने कही जांच कराने की बात
पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि विशेष परिस्थितियों में अधिकार है। इसमें कलेक्टर नोडल अधिकारी बन सकते हैं। चौबे ने कहा कि मैं नहीं समझ पा रहा कि इसमें बंदरबांट कैसे हो गई। फिर भी कहीं पर संदेह है तो राज्य स्तर के अधिकारी को भेजकर इसकी जांच करा लेंगे।7 करोड़ का मसला है मैंने कहा तीन साल की खरीद का मामला है। कोंडागांव जागरुक जिला है, उसमें कोई आपत्ति नहीं है। राज्य के अफसर से जांच कराने के निर्देश कर दूंगा। एक महीने का समय सीमा कर देता हूं, पुराने कार्यकाल के मसले हैं। 1 महीने में रिपोर्ट आएगी। अफसरों पर भी कार्रवाई होगी।

मोहन मरकाम ने सवाल उठाते हुए कहा कि जांच विधानसभा की कमेटी से क्यों नहीं करवाई जा सकती? जिस जिले से जुड़ा यह मामला है वहां से तीन विधायक चुनकर आते हैं।

विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि यह सात करोड़ का मामला है। यहां तीन साल की खरीद की बात है। यदि राज्य स्तर के अधिकारी से जांच कराने की बात कह भी रहे हैं तो तय कर दीजिए कि एक महीने के भीतर जांच की रिपोर्ट आ जाए और जो भी दोषी पाया जाए उसके खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की जाए।

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