महाराष्ट्र विधान सभा का सत्र दो दिनों का होगा। इस संबंध में संसदीय दल की एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक से बाहर निकले मुख्यमंत्री की भेंट नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर से हो गई। इस बीच गाड़ी में बैठते-बैठते मुख्यमंत्री, उनके निजी सचिव, भाजपा नेता प्रवीण दरेकर, गिरीष महाजन और प्रसाद लाड की हमजोली ने राजनीति में नए गठबंधन की आशा उत्पन्न कर दी है कि क्या सही में भाजपा और शिवसेना में युति की पुनर्स्थापना को लेकर कुछ चल रहा है?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार दिल्ली में विपक्ष के कांग्रेस रहित दलों के साथ बैठकें कर रहे हैं, परंतु इस बैठक में शिवसेना अनुपस्थित रही। दूसरी ओर महाराष्ट्र विधान सभा के बाहर मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, भाजपा के एक कद्दावर पूर्व मंत्री और मुख्यमंत्री के सचिव मिलिंद नार्वेकर के बीच हुई हमजोली की चर्चा ने राजनीति की करवट को लेकर नए संकेत दिये हैं। हालांकि, भाजपा और शिवसेना की ओर से इस पर कोई अधिकृत टिप्पणी नहीं आई है, परंतु राजनीति में संभावनाओं का खेल सदा चलता रहता है और उसमें ‘बावनकुले’ की बात कब सच होकर ‘प्रताप’ दिखा दे कह नहीं सकते।
इसे मराठी में पढ़ें – जेव्हा नार्वेकर म्हणतात, ‘यांना आताच शिवबंधन बांधा!’
वो मात्र हंसी मजाक ही था
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बीच इसके पहले भी हंसी मजाक चलता रहा है, परंतु यह इतने उथले स्तर कैमरे पर सामने नहीं आया था। परंतु, मंगलवार को शिवसेना और भाजपा के बीच जो हमजोली दिखी वह अलग कुछ अलग लगी। यह बात प्रवीण दरेकर और प्रसाद लाड को गाड़ी में ले जाकर शिव बंधन (भगवा कलावा जिसे शिवसेना में प्रवेश के समय पहनाया जाता है) बांधने तक चली गई। इस दृष्य ने जिन आशंकाओं को उत्पन्न किया है उसे दृढ़ करने के पीछे पांच ऐसे कारण हैं, जिन पर ध्यान दें तो यह स्पष्ट हो जाएगा।
महाराष्ट्र में बिछड़े साथी विधान सभा के बाहर खुलकर मिले। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, नेता विपक्ष प्रवीण दरेकर, पूर्व मंत्री गिरीष महाजन, विधायक प्रसाद लाड और सीएम के सचिव मिलिंद नार्वेकर के बीच खुलकर हंसी मजाक हुआ। इससे राज्य में युति के पुनर्स्थापना की चर्चा रंग गई। pic.twitter.com/x30IbmjHmX
— Karuna Shankar (@kshankar7) June 22, 2021
प्रधानंमत्री और मुख्यमंत्री का वन टू वन – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण दिल्ली गए थे। इन तीनों नेताओं ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को जानकारी दी और केंद्र सरकार से सहयोग की विनंती की, परंतु इस संयुक्त बैठक के पश्चात मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अकेले में प्रधानमंत्री से मिलकर चर्चा की। दोनों ही नेताओं ने लगभग आधे घंटे वन टू वन चर्चा की। इसने महाराष्ट्र की राजनीति में युति (भाजपा व शिवसेना गठबंधन) की संभावनाओं को लेकर कयासों को जन्म दे दिया।
@CMOMaharashtra Uddhav Balasaheb Thackeray ji met with the Hon’ble Prime Minister Shri @narendramodi ji today along with Deputy CM @AjitPawarSpeaks ji & Minister @AshokChavanINC ji.#UddhavThackeray #Maharashtra pic.twitter.com/Tvi60d1gcq
— Aniket patkar 🚩३९🚩 (@Aniketpatkar24) June 8, 2021
पवार की बैठक से कट्टी – दिल्ली में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद के घर गैर कांग्रेसी विपक्षी दलों की बैठक हुई जिसमें 15 दलों ने हिस्सा लिया। जिसमें शिवसेना उपस्थित नहीं हुई। हालांकि, शिवसेना नेता संजय राऊत ने इस पर कहा है कि बिना शिवसेना और कांग्रेस के तीसरे मोर्चे का गठन संभव ही नहीं है। परंतु, इसी संजय राऊत ने एक सप्ताह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का सबसे बड़ा नेता भी बताया था। इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में महाविकास आघाड़ी के घटक दलों के संबंधों को लेकर जो बातें उड़ रही हैं वो और इस बैठक से शिवसेना की दूरी आशंका उत्पन्न करती है।
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प्रताप का वो पत्र? – शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक भ्रष्टाचार के आरोपों के भंवर में हैं। उन्होंने एक पत्र शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे को लिखा है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि भारतीय जनता पार्टी से पुन: गठबंधन किया जाए, जिससे शिवसेना नेताओं के विरुद्ध केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच से कुछ राहत मिल पाएगी और शिवसेना को तोड़ रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस को कड़ा संदेश दिया जा सकेगा। प्रताप के पत्र में शिवसेना जनप्रतिनिधियों का काम न होने का आरोप भी लगाया गया था।
बावनकुले का बयान – भारतीय जनता पार्टी के नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने एक बयान दिया है कि, प्रताप सरनाईक ही नहीं बल्कि शिवसेना के 90 प्रतिशत सांसद और विधायक नाराज हैं। सरकार में मात्र कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जनप्रतिनिधियों का काम हो रहा है, वे अपनी पार्टी को मजबूत कर रहे हैं। इसलिए शिवसेना के जनप्रतिनिधि अपनी ही पार्टी से नाराज हैं। बीजली काटने से जन सामान्य लोगों में शिवसेना विधायकों के प्रति आक्रोश है, इन परिस्थितियों में यदि भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना साथ आती है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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