सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने दिल्ली की आबकारी नीति के उल्लंघन और शराब के ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ करने के निर्णय पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से संबंधित ठिकानों पर छापा मारा था। इस प्रकरण में केंद्रीय जांच एजेंसी ने 15 लोगों पर एफआईआर दर्ज की है, जिसमें मनीष सिसोदिया को मुख्य आरोपी बनाया है। पहले से ही मनी लॉंडरिंग प्रकरण में दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन गिरफ्तार हैं, अब हैवीवेट नेता मनीष सिसोदिया पर जांच की आंच आने से ‘आप’ की मुसीबत शुरू हो गई है।
सीबीआई का दल शुक्रवार सुबह से ही कार्रवाई में जुट गया था। इसमें एक अधिकारी के घर से उसे ऐसे कागज मिले हैं, जो किसी के निवास पर नहीं होने चाहिए थे। इसको लेकर अब जांच एजेंसी अपनी पकड़ कस सकती है। इस पूरे प्रकरण में दर्ज की गई एफआईआर में पंद्रह आरोपी हैं, जिनमें पहले नंबर पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हैं। सीबीआई जांच का आदेश उपराज्यपाल वी.के सक्सेना ने मुख्य सचिव नरेश कुमार की अनुषंसा पर दिया था। सीबीआई ने मनीष सिसोदिया और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी आर.गोपी कृष्ण के परिसरों के अलावा 19 स्थानों पर शुक्रवार को छापा मारा।
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ये है प्रकरण
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने 37 पेज की रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी है, उसके अनुसार नई आबकारी नीति में जीएनसीटीडी एक्ट 1991 (गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल रीजन), ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज ऐक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन पाया गया था।
सूत्रों के अनुसार, अनियमितता में कोरोना काल में शराब के लाइसेंस धारकों को 144 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देना, मैन्युफैक्चरर्स और ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को रिटेल में शराब बेचने का टेंडर मिलना, शराब कारोबारियों के एक साथ बिजनेस करने को आधार बनाया गया है।
शुरू हुई कार्रवाई
नई आबकारी नीति बनाने में बरती गई अनियमितता को लेकर अगस्त महीने में ही उप राज्यपाल की ओर से आबकारी विभाग के पूर्व कमिश्नर ए.गोपी कृष्ण और डिप्टी कमिश्नर आनंद कुमार तिवारी समेत 11 अधिकारियों को निलंबित किया गया था। यह कार्रवाई दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा उप राज्यपाल को सौंपी गई 37 पेज की रिपोर्ट के बाद की गई थी। इसी आधार पर राज्यपाल ने प्रकरण की सीबीआई जांच की अनुषंसा की है।