उत्तर प्रदेश में 3 नवंबर को विधानसभा की सात सीटों पर उपचुनाव होंगे, लेकिन इससे भी ज्यादा राज्यसभा चुनाव को लेकर राजनीति गरमा गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती सपा से इतना नाराज हो गई हैं कि उनको बीजेपी का साथ पसंद आने लगा है। यूपी में 9 सीटों पर राज्यसभा के चुनाव होने हैं। इस चुनाव ने रिश्ते को और खराब कर दिया है। दरअस्ल सपा के पास 48 विधायक हैं और उसने रामगोपाल यादव को मैदान में उतारा है। उनको जीतने के लिए 36 वोट चाहिए,जबकि सपा के पास 18 विधायक हैं और उसने रामजी गौतम को अपना उम्मीदवार बनाया है। उनकी जीत के लिए 18 अतिरिक्त वोट चाहिए। इस बीच निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में प्रकाश बजाज ने पर्चा भर दिया है। उन्हें सपा के 10 विधायकों ने समर्थन दिया है। जबकि बसपा के सात विधायकों ने भी बगावत कर दी है।
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— Mayawati (@Mayawati) October 29, 2020
बसपा की सेंधमारी से नाराज सपा
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से बहुजन समाज पार्टी की दूरी बढ़ गई है। दरअस्ल प्रदेश की 9 सीटों पर होनेवाले चुनाव में सेंधमारी से नाराज बसपा सुप्रीमो मायावती सपा से नाराज हो गई हैं। गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए मायावती ने सपा को एमएलसी चुनाव में करारा जवाब देने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि सपा के दूसरे उम्मीदवार को हराने के लिए बसपा अपनी पूरी ताकत झोंक देगी। चाहे इसके लिए पार्टी को बीजेपी और अन्य किसी विरोधी पार्टी के उम्मीदवार को ही अपना वोट क्यों न देना पड़े।
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सीट पर पूंजीपति के कब्जे के खिलाफ बहनजी
जो पार्टी एमएलसी चुनाव में सपा के दूसरे उम्मीदवार को हराती दिखेगी, बसपा के विधायक उसे ही अपना वोट देंगे। यह ऐलान करते हुए मायावती ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने बताया कि एसपी दूसरा उम्मीदवार नहीं खड़ा कर रही है। अगर हम प्रत्याशी नहीं उतारेंगे तो कोई पूंजीपति हमारे विधायक को खरीद कर राज्ससभा की सीट पर पर जीत हासिल कर लेगा। हम यह सोचकर चल रहे थे कि डिंपल यादव चुनाव हार गई है, अगर वो राज्यसभा चुनाव लड़ती हैं तो बीएसपी उनको जिताने में पूरी ताकत लगा देती।
अखिलेश यादव को घेरा
मायावती ने कहा कि सतीश मिश्रा ने एसपी चीफ को फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। निजी सचिव ने भी फोन पर बात नहीं करवाई। सतीश मिश्ना ने एसपी के महासचिव रामगोपाल यादव से बात की तो उन्होंने कहा कि एसपी केवल एक सीट पर चुनाव लड़ेगी। उसके बाद बीएसपी ने रामजी गौतम को अपना उम्मीदवार बनाया। इस तरह एसपी साजिश के तहत आखिरी मौके पर निर्दलीय को पर्चा भरवाया और बाद में 4 विधायकोंं को नजरअंदाज कर ब्राह्माण समाज का अपमान किया। उन्होंने बताया कि इनके दूसरी पार्टी में जाते ही दलबदल कानून के तहत सदस्यता खत्म करने की दिशा में कार्रवाई की जाएगी।
बीजेपी को समर्थन देने को तैयार बसपा
दरअस्ल सपा को सबक सिखाने के लिए बीजेपी तक से हाथ मिलाने को तैयार बसपा ने पक्ष और विपक्ष का पाला काफी हद तक स्पष्ट कर दिया है। इस वजह से 2022 के चुनावी दंगल की पटकथा काफी हद तक स्पष्ट कर हो गई है। बीजेपी के समर्थन के बसपा के ऐलान ने उसके मतदाताओं को पक्ष-विपक्ष की राह चुनने के लिए राह आसान कर दी है।
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीति के जानकारों का कहना है कि मायावती बीजेपी से नजदीकी बढ़ाकर वह खुद मुख्य विपक्षी दल साबित करना चाहती है। वहीं सपा को विकल्प नहीं मानने वाले बसपा के मतदाताओं के लिए बीजेपी नया संकल्प बनकर उभर सकती है।
नई दोस्ती के संकेत
इतिहास के घटनाक्रमों और 2019 के बाद बीजेपी को लेकर मायावती के नरम रुख को देखते हुए प्रदेश में नई दोस्ती के संकेत को समझा जा सकता है। हालांकि अब समीकरण भी अलग हैं और ताकत भी अलग। जानकार कहते हैं कि मायावती राजनीति में सबसे अप्रत्याशित निर्णय लेनेवाली नेता रही हैं। अब तक उन्होंने जितने गठबंधन किए, उसमें कमोबेश हर गठबंधन उन्होंने खुद तोड़ा जबकि उसका दोष साथ देनेवाले पर मढ़ा।
बीएसपी की खिसकती जमीन
2014 के लोकसभा चुनाव में शून्य, 2017 के विधानसभी चुनाव में 20 से भी नीचे पहुंचने के बाद 2019 में सपा के साथ के बाद दहाई सीट जीतनेवाली मायावती की राजनीति एक बार फिर डांवाडोल है। सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा में मदद के बदले विधान परिषद में बीजेपी के साथ की अघोषित जमीन पहले से ही तय थी। इसे बदले की शक्ल देकर मायावती ने अपना ही खेल बिगाड़ लिया है। सत्ता का साथ उन्हें विपक्ष के तौर पर लड़ाई में कमजोर करेगा।
माया का बीजेपी से पुराना नाता
- तीन बार बीजेपी की मदद लेकर माया बनीं सीएम
- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मया का तीसरे मोर्च के तौर पर लड़ना विपक्ष ने बीजेपी की मदद के तौर पर पेश किया
- अनुच्छेद 370, चीन विवाद जैसे मामलों पर खुलकर किया मोदी सरकार का समर्थन
- कोटा से छात्रों की वापसी में किराए के मसले पर योगी सरकार के समर्थन में कांग्रेस पर उठाए सवाल
- यूपी के कई मसलों, जिनमें कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा, उनमें मायावती ने कांग्रेस की आलोचना की।
आम आदमी ने साधा निशाना
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने मायावती के इस कदम की कड़ी आलोयना की है। उन्होंने कहा है कि एमएलसी चुनाव में बीजेपी का साथ देने का ऐलान कर मायवती ने साबित कर दिया है कि 2022 में उनके चुनाव चिह्न हाथी के सूंड में कमल का फूल होगा। उन्होंने कहा कि मायावती ने दलितों के मुद्दों से मुंह मोड़ लिया है। उन्होंने बलरामपुर और हाथरस जैसी घटनाओं पर चुप्पी साध ली।