भाजपा संग घात, लालू के साथ ‘नीतीसे’ ने फिर बनाई बात! सुशासन बाबू को देना होगा उन दो बातों का उत्तर

बिहार में नए गठबंधन की बहार है। भाजपा को जदयू ने तीर से घायल कर दिया है, जिससे आरजेडी की लालटेन जल चुकी है।

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लालू के पलटू राम फिर लालटेन (राष्ट्रीय जनता दल का चुनाव चिन्ह) के उजियारे में आ गए हैं। अब उनको भ्रष्टाचार के प्रकरणों में दोषी लालू प्रसाद अपने लगने लगे हैं। मंगलवार को नीतीश ने भारतीय जनता पार्टी के साथ चल रहे गठबंधन से घात किया था और बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनके साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव ने शपथ ली।

नीतीश कुमार चाहे जो भी कहें, परंतु इस घात के साथ कई ज्वलंत प्रश्न हैं जिनका उत्तर भविष्य में नीतीश को देना होगा। ‘सुशासन बाबू’ की छवि बनाकर घूमनेवाले नीतीश कुमार को ‘भ्रष्टाचार’ और ‘घात’ ये दो ऐसे मुद्दे हैं, जिनका सामना करना कठिन हो सकता है। नीतीश कुमार की जनता दल युनाइटेड (जदयू) का सबसे लंबा गठबंधन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ रहा है। पांच बार मुख्यमंत्री पद पर नीतीश भाजपा के गठबंधन काल में ही बैठे, परंतु स्वभावानुसार स्वार्थ सिद्धि को लेकर ‘भटकंती’ वाला मन उन्हें किसी एक साथ रहने नहीं देता। अब आरजेडी के साथ नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद पर बैठे हैं और उनके साथ लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी ने उपमुख्यमंत्री के रूप शपथ ग्रहण किया।

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मुख्यमंत्री बनाया और धोखा खाया
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को वर्ष 2020 में हुए विधान सभा चुनाव में 43 सीटें मिली थीं, भाजपा को 74 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी, जो अब बढ़कर 77 हो गई है। इसके बाद भी भाजपा ने नीतीश को मुख्यमंत्री पद पर आसीन किया। यह सरकार 22 महीने चली और नीतीश कुमार ने अपना राजनीतिक पैंतरा फिर चल दिया। उन्होंने, जदयू को तोड़ने का आरोप लगाते हुए भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया और सत्ता की लालसा में प्रतीक्षारत् राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन कर लिया।

भ्रष्टाचार के नाम छोड़ा था लालू का साथ
वर्ष 2017 में आरजेडी और जदयू की सत्ता थी। उस समय उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने लगे थे। जिसके बाद वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। गठबंधन तोड़ने और जोड़ने में माहिर नीतीश कुमार ने तत्काल भाजपा से हाथ मिला लिया।

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