अगले दो-तीन महीने में देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनाव कराए जाने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि केंद्र की सत्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाती है। यानि केंद्र में सत्ता कायम करने में इस राज्य की हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व इस राज्य में जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है।
उत्तर प्रदेश में अभी तक चुनाव की तारीखों की घोषणा भले ही नहीं हुई है, लेकिन भाजपा समेत सभी पार्टियों ने काफी पहले से ही यहां अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। यूपी में भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह निर्माण मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा तक जनसभाएं कर चुके हैं। हालांकि उनकी सभाओं को औपचारिक रुप से चुनाव प्रचार नहीं कहा जा सकता, लेकिन कुल मिलाकर पार्टी का उद्देश्य इस प्रदेश में 2017 से भी ज्यादा सीटों के साथ जीत हासिल करना है।
भाजपा के साथ ही कांग्रेस और सपा ने भी चुनावी दांव पेच आजमाने शुरू कर दिए हैं। इस बीच कई एजेंसियों ने प्री इलेक्शन ओपिनियन पोल जारी किए हैं। इनमें भाजपा की जीत तो सभी बता रही हैं, लेकिन सीटों की संख्या कम-ज्यादा होने का अनुमान है। हालांकि इनके ओपिनियन पोल कितना सटीक साबित होते हैं, ये वक्त ही बताएगा।
पांच प्लस प्वाइंट
1..मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में विकास का काफी काम हुआ है। कई वर्षों से अटकी परियोजनाएं पूरी हो गई हैं और इसका लाभ लोगों को मिलने लगा है।
2- भाजपा में आंतरिक संघर्ष काफी कम दिख रहा है। पार्टी नेता काफी एकजुट और उत्साहित दिख रहे हैं। इस कारण पार्टी को बड़ा लाभ हो सकता है। इसके साथ ही पार्टी के पास स्टार प्रचारकों की पूरी फौज है, इसका लाभ भी पार्टी को मिलना तय है।
3-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत पार्टी के सभी बड़े नेता उत्तर प्रदेश में कई सभाओं को संबोधित कर चुके हैं। पीएम ने हाल ही में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का लोकार्पण किया है और इसके बाद यूपी में भाजपा के वोट बैंक में काफी बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
4- ऐन चुनावों से पहले, एक साल से ज्यादा समय से चल रहा किसान आंदोलन समाप्त हो जाना भाजपा के लिए बड़ी राहत की बात है और इसका लाभ पंजाब तथा उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी पार्टी को मिलना निश्चित है।
5- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से वहां के राजनैतिक माफियाओं पर नकेल कसा है, उससे उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ी है। इसके साथ ही राम मंदिर का निर्माण और यूपी के सबसे पिछड़े इलाके पूर्वांचल के विकास के लिए कई एक्सप्रेस वे का निर्माण और मेडिकल कॉलेज शुरू किए जाने के कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ी है।
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पांच माइनस प्वाइंट
1-योगी की लोकप्रियता बढ़ने से पार्टी के कई नेता अंदर ही अंदर नाराज हैं और अगर उन्हें शांत नहीं किया गया तो वे पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
2-लव जिहाद और धर्मांतरण को लेकर सरकार तथा प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों से मुस्लिम मतदाता काफी नाराज हैं। इस कारण जो लोग पहले भाजपा को वोट देते रहे हैं, वे अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम, कांग्रेस और सपा या बसपा को वोट दे सकते हैं।
3-कांग्रेस और बसपा भले ही इस चुनाव में कमजोर दिख रही है, लेकिन समाजवादी पार्टी मजबूत स्थिति में दिख रही है। पार्टी अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की लोकप्रियता बढ़ती है तो भाजपा के लिए आगे परेशानी बढ़ सकती है।
4-रेप, गैंगरेप और हत्या तथा अन्य तरह के बढ़ते अपराध के कारण आम जनता अपना रुख बदल सकती है।
5-लखीमपुर खीरी हिंसा में जिस तरह से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा टेनी की मुश्किलें बढ़ रही हैं, उससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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