मढ के भाटी क्षेत्र में महाराष्ट्र पर्यटन विकास महामंडल के भूखंड का मुद्दा विधान सभा में गूंजा। यह भूखंड कोस्टल रेग्युलेशन जोन में भी आता है, लेकिन इसके बाद भी पर्यटन विभाग की अनुमति से भराव करके हरेभरे पेड़ों को रौंद दिया गया। भारतीय जनता पार्टी विधायक अतुल भातखलकर ने विधान सभा में इस मुद्दे को उठाते हुए आरोप लगाया है कि, इस भूखंड पर वर्तमान में बीस से अधिक स्टूडियो खड़े हैं। विधायक ने कहा कि, आरे में मेट्रो कारशेड का विरोध करनेवालों की देखरेख में ऐसा हुआ है। इन स्टूडियो का किराया किसके खाते में जा रहा है, इसकी जांच होनी चाहिए।
मढ से लेकर मार्वे का पूरा समुद्री किनारा कोस्टल रेग्युलेशन जोन और नो डेवलपमेन्ट जोन के अधीन आता है। इस समुद्री किनारे ही बसा है भाटी गांव, जहां महाराष्ट्र पर्यटन विकास महामंडल का भूखंड है। इस भूखंड को लेकर काफी समय से हंगामा मचा हुआ है। भाजपा विधायक अतुल भातखलकर के अनुसार भाटी गांव में पर्यटन विकास महामंडल के भूंखड पर कोस्टल रेग्युलेश्न जोन नियमों का उल्लंघन हुआ है। वहां पर स्टूडियो निर्माण का विचार किसका था, इसकी जांच होनी चाहिए।
अतुल भातखलकर का आरोप
महाविकास आघाड़ी की सरकार पर्यावरण के नाम पर बहुत सी बातें सुबह शाम बोलती रही है। मढ में एमटीडीसी यानी राज्य सरकार का भूखंड और बगल में ही जिलाधिकारी का भूखंड है। मेट्रो के कार्यों को अवरुद्ध करनेवाली सरकार ने एमटीडीसी के भूखंड पर भराव करने के लिए निवेदन किया था। 12 नवंबर, 2020 के पत्र में एमटीडीसी, मेसर्स रिद्धि सिद्धि रियल वेंचर्स एलएलपी को कहती है कि, एरंगल के भूखंड पर एमटीडीसी को विकास कार्य करना है। आप वहां भरनी कर सकते हैं, जब एमटीडीसी का कार्य वहां शुरू होगा तब आपको दी गई अनुमति तत्काल समाप्त कर दी जाएगी।
दौरे की दाल में कुछ काला?
भाटी के भूखंड पर भराव करने के लिए एमटीडीसी ने अनुमति दी थी। उस समय उपनगर और शहर के तत्कालीन पालक मंत्री ने वहां का दौरा किया, इसके बाद भराव के कार्यों को गति मिली। भरनी के लिए दी गई अनुमति की शर्त थी कि, एक एकड़ में एक हजार पौधे लगाए जाएं, परंतु वर्तमान में संबंधित भूखंड पर एक भी वृक्ष नहीं है। इसके उलट भरनी के समय वहां जो वृक्ष थे उन्हें नष्ट कर दिया गया। भूखंड पर जो रिपोर्ट मैंग्रोव अथॉर्टी के अधिकारियों ने दी थी, उसमें लिखा गया था कि, संबंधित स्थान पर विभिन्न प्रकार के वृक्ष पाए गए हैं।
अस्थाई की जगह बना दिये बीस पक्के स्टूडियो
विधायक ने कहा कि, एमटीडीसी के भूखंड पर तीन अस्थाई स्टूडियो बनाने की अनुमति प्राप्त की गई थी। जो छह महीनों के लिए थी, परंतु वहां पक्का निर्माण करके बीस से अधिक निर्माण कर दिये गए। इसका किराया कौन ले रहा है, इसकी जांच होनी चाहिए।
सीआरजेड और नो डेवलपमेन्ट जोन का उल्लंघन
मलाड पश्चिम का बड़ा पट्टा मढ और मनोरी तक नो डेवलपमेन्ट जोन के अधीन आता है। इसमें समुद्री किनारे बसा क्षेत्र कोस्टल रेग्युलेशन जोन (सीआरजेड) में है। इसके बाद भी आरसीसी निर्माण खड़ा करने की अनुमति कैसे मिली यह सबसे बड़ा सवाल है। इस क्षेत्र में तीस वर्षों से अधिक काल से रहनेवालों को घर के पतरे बदलने के लिए भी पी उत्तर विभाग के अधिकारी हुज्जत करते हैं, लेकिन उनकी नाक के नीचे बीस से अधिक स्टूडियो बन गए और वह चुप्पी साधे रहे।
अवैध भराव कर समुद्री क्षेत्र का उल्लंघन
फरवरी 2021 में भाजपा नगरसेवक व पी उत्तर के प्रभाग अध्यक्ष रहे विनोद मिश्रा ने तत्कालीन पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे के पास शिकायत की थी, जिसमें उन्होंने भाटी गांव की एमटीडीसी के भूखंड पर अवैध भरनी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि, समुद्र में अवैध भरनी डालकर भूखंड को रिक्लेम किया जा रहा है, जो एनवायर्नमेन्ट प्रोटेक्शन एक्ट 1986 और ट्री प्रोटेक्शन एक्ट 1975 का उल्लंघन है। इसके लिए मनपा के घन खचरा प्रबंधन विभाग द्वारा दी गई अनुमति की जांच होनी चाहिए। संबंधित भूखंड पर चार लाख ब्रास (1.5 लाख ट्रक) मिट्टी का भराव किया गया था। इसके साथ ही एमटीडीसी और मनपा अधिकारियों पर कार्य में लापरवाही और अति संरक्षित माने जानेवाले मैंग्रोव खत्म करने के प्रकरण के अंतर्गत कार्रवाई होनी चाहिए।
एक हजार करोड़ का घपला
भाजपा नेता किरिट सोमैया ने स्टूडियो निर्माण के प्रकरण में एक हजार करोड़ रुपए के घपले का आरोप लगाया था। उन्होंने इस संदर्भ में सभी संबंधित एजेंसियों से कार्रवाई की मांग की थी।