भारतीय जनता पार्टी की सत्ता गए दो वर्ष के लगभग हो गए हैं, परंतु देवेंद्र फडणवीस को अब भी ऐसा नहीं लगता। इसका खुलासा उन्होंने खुद ही किया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद को लेकर एक बड़ा राज खोला है, जिसे लोग अब तक नहीं जानते थे।
देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि, मैंने कभी यह महसूस ही नहीं किया कि, मैं मुख्यमंत्री नहीं हूं। राज्य के लोगों के स्नेह के कारण यह आभास ही नहीं होता। नवी मुंबई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने लोगों से अपने जुड़ाव का अनुभव साझा किया।
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काम ही महत्वपूर्ण
देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि, जनता ने कभी आभास ही नहीं होने दिया कि मैं मुख्यमंत्री नहीं हूं। मैं अब भी महसूस करता हूं कि मैं मुख्यमंत्री हूं। मैं पिछले दो वर्षों से राज्य में दौरे कर रहा हूं, लोगों का स्नेह और अपनत्व बिल्कुल कम नहीं हुआ है। मैं घर नहीं बैठा, मैं लोगों की सेवा कर रहा हूं और विधान सभा में नेता विपक्ष के रूप में बढ़ियां काम कर रहा हूं।
आते-आते चली गई कुर्सी
देवेंद्र फडणवीस ने 2014 के हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा को मिली सफलता के बाद शिवसेना से गठबंधन करके सत्ता स्थापन किया था। इसके बाद वे 2019 तक मुख्यमंत्री थे। 2019 में शिवसेना के साथ मिलकर विधान सभा चुनाव लड़ा और दोनों पार्टियों को मिले जनमत ने फिर सत्ता स्थापित करने की शक्ति दे दी। परंतु, हुआ इसका उलट ही…
शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ी रही। जिसे देने के लिए 105 विधायकों वाली भाजपा तैयार नहीं थी। लगभग महीने भर से अधिक चली चर्चा के बाद देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार के साथ मिलकर एक रात मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। लेकिन अजीत पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जितने विधायकों के टूटने का वादा किया था, वह संभव नहीं हो पाया। जिसका परिणाम हुआ कि तीन दिन में मुख्यमंत्री पद चला गया।
बिखरे परिणामों ने तोड़ा स्वप्न…
2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम बिखरे हुए थे। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनके उभरी अवश्य, लेकिन गठबंधन की बैसाखी के बिना वह पंगु थी। दूसरी ओर शिवसेना का मुख्यमंत्री पद प्राप्त करने का स्वप्न इसके लिए भी दृढ़ हो गया था क्योंकि, चुनाव परिणामों ने शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के मिलन से 162 विधायकों का समर्थन खड़ा कर दिया था। जिसके कारण भाजपा का स्वप्न बिखरे जनमत की भेंट चढ़ गया।