पिछले कुछ महीनों में बिहार में राजनीतिक समीकरण काफी बदल चुका है। इसे देखते हुए भाजपा के साथ ही अन्य छोटे दल भी नई रणनीति बनाने में लगे हैं। भाजपा के लिए आगे का रास्ता काफी कठिन हो सकता है। इसे देखते हुए उसने अभी से अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश शुरू कर दी है। इसी कड़ी में पार्टी ने समुई के सांसद चिराग पासवान को अपने साथ लेने की तैयारी कर ली है, वहीं बिहार में कथित जंगलराज की वापसी के खिलाफ पार्टी ने बिगुल फूंक दिया है।
केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का धरना
कानून-व्यवस्था पर नीतीश सरकार को घेरने के लिए केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह धरने पर बैठ गए हैं । बेगूसराय जिले में 13 सितंबर को एक के बाद एक 11 लोगों पर गोलियों की बौछार हुई है । कथित रूप से ध्वस्त हो चुकी कानून व्यवस्था के विरोध में 15 सितंबर को बेगूसराय जिले में बंद रखा गया। राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा कहते हैं कि बिहार की राजनीति में अपराध और ठेकेदारी का गठजोड़ फिर से बेगुसराय को 60 के दशक में ले जा रहा है । जब हत्या आम बात थी । गोलियों की जिस तरह से बौछार हो रही है, उस पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है ।
भाजपा कराएंगी चाचा –भतीजा में सुलह
भाजपा ने चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने की तैयारी कर ली है। चिराग के चाचा केन्द्रीय मंत्री पशुपति पारस के साथ सुलह के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। जेडीयू – राजद गठजोड़ पर प्रहार करने के लिए चिराग पासवान को आगे करने की रणनीति पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अंतिम मुहर लगा दी है।
चिराग पासवान के 6-7 प्रतिशत वोटों पर भाजपा की नजर
भाजपा ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को बिहार में पटखनी देने के लिए चिराग पासवान पर दांव चलने का मन बना लिया है। बीजेपी अपने परंपरागत वोट बैंक के अलावा ओबीसी समुदाय की दूसरी जातियों को साधने की रणनीति पर काम कर रही है । भाजपा ये सफल प्रयोग 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कर चुकी है। वह यादव , कुशवाहा , कुर्मी समाज के लोगों के समर्थन हासिल कर चुकी है । चिराग पासवान पहले ही कह चुके हैं कि वो पीएम मोदी के हनुमान हैं । चिराग पासवान ने अपने दम पर 2020 में तकरीबन 6-7 फीसदी तक वोट हासिल किये थे ।
मोदी के नाम पर वोट
2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी को वोट मोदी के नाम पर ही मिला था। 2014 में जब नीतीश एनडीए में नहीं थे, तब बीजेपी ने लोक जनशक्ति पार्टी और उपेन्द्र कुशवाहा के साथ मिलकर बिहार की 32 सीटें जीती थीं। लेकिन जब 2019 में जेडीयू आ गई, तब एनडीए ने 40 सीटों में 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। दरअस्ल, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान एनडीए से अलग हो गए थे । बीजेपी अब चिराग पासवान के नीतीश कुमार के खिलाफ बगावती रुख को अपने पक्ष में भुनाना चाहती है ।