बिहारः ‘भतीजे’ के साथ ‘चाचा’ ने कर दिया बड़ा कांड!

2019 में विधानसभा चुनाव में तमाम तरह की बयानबाजी और तिकड़मबाजी के बावजूद लोक जनशक्ति पार्टी की ऐसी दुगर्ति हुई कि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने कभी सोचा भी नहीं होगा।

104

लोक जनशक्ति पार्टी में भगदड़ तो पहले से ही मची थी,लेकिन अब पांच सांसदों के साथ चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस के बगावत के बाद उनके सामने मुश्किलों का पहाड़ खड़ा हो गया है। 2019 में विधानसभा में तमाम तरह की बयानबाजी और तिकड़मबाजी के बावजूद पार्टी की ऐसी दुगर्ति हुई कि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने कभी ऐसा सोचा भी नहीं होगा। मात्र एक विधायक (राजकुमार सिंह) वाली पार्टी में बाद में भगदड़ मच गई और कुछ ने जेडीयू का दामन थाम लिया तो कुछ नेता-कार्यकर्ता आरजेडी के साथ हो लिए, लेकिन अब उनके चाचा ने उन्हें जो झटका दिया है, वह सबसे बड़ा है।

सबसे बड़ी बात यह है कि चिराग अपने चाचा पशुपति कुमार पारस से मिलने दिल्ली स्थित उनके निवास पर पहुंचे,लेकिन डेढ़ घंटा इंतजार करने के बाद भी उनकी मुलाकात नहीं हो पाई।

डेढ़ घंटे तक करते रहे इंतजार
चिराग पासवान इस उम्मीद में पारस के घर पहुंचे थे कि विवाद का कोई हल निकल जाएगा। उनके हाथ में पट्टी बंधी थी और खुद गाड़ी चलाकर पशुपति के घर पहुंचे थे, लेकिन उन्हें 20 मिनट तक प्रवेश तक नहीं दिया गया। इस दौरान चिराग हॉर्न पर हॉर्न बजाते रहे। इसके बाद जब गेट खुला तो करीब डेढ़ घंटे तक इंतजार करने के बावजूद पशुपति पारस से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी और चिराग को खाली हाथ लौटना पड़ा। बाहर आने पर उनसे मीडिया ने कई सवाल पूछे लेकिन चिराग ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।

ये भी पढ़ेंः राजस्थानः गहलोत से नाराज सचिन पायलट क्या अब भाजपा में जाएंगे?

चिराग पासवान खेलना चाह रहे थे दांव
बताया जा रहा है कि चिराग पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने को भी तैयार थे। वे अपनी मां रीना पासवान को लोजपा अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव लेकर अपने चाचा के पास पहुंचे थे, लेकिन जब वे उनके निवास पर पहुंचे, उससे पहले पारस और प्रिंस राज बैठक के लिए घर से निकल चुके थे। वे वहां करीब डेढ़ घंटे तक उनके आने का इंतजार करते रहे। लेकिन उनके नहीं आने पर चिराग को खाली हाथ वापस आना पड़ा।

पांचों सांसदों की बैठक
पशुपति सहित लोजपा के पांचों बागी सांसदों ने वीणा देवी के दिल्ली निवास पर बैठक की। इससे पहले भी लोजपा के पांचों बागी सांसदों की 13 जून को लोकसभा स्पीकर से मुलाकात हुई थी। पार्टी के छह में से पांच सांसदो के बगावत करने से बिहार की राजनीति में हड़कंप मच गया है।

ये भी पढ़ेंः तो क्या राजस्थान में फिर होगा अंतरविरोध का ‘पायलट’?

इसलिए की बगावत
इस बीच पशुपति पारस ने कहा है कि हम चाहते थे कि लोजपा एनडीए में बनी रहे और साथ में ही चुनाव लड़े,लेकिन कुछ लोगों के बहकावे में आकर चिराग ने विपरीत निर्णय लेकर पार्टी को नुकसान पहुंचाया।

13 जून से मचा है हड़कंप
13 जून को पशुपति पारस को चिराग पासवान को हटाकर उनकी जगह पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुन लिया गया। चाचा के इस कदम से राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान बिलकुल अकेले हो गए हैं। बागी सांसदों ने उन्हे राष्ट्रीय अध्यक्ष मानने से भी इनकार क दिया है। जिन पांच सांसदों ने चिराग से अलग होने की घोषणा की है, उनमें पशुपति पारस, प्रिंस राज(चचेरे भाई), चंदन सिंह,वीणा देवी और महबूब अली केशर शामिल हैं। इस घटनाक्रम के बाद चिराग पासवान का अगला कदम क्या होगा, यह देखने वाली बात है।

पार्टी की स्थिति
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में 137 सीटों पर चुनाव लड़कर लोजपा ने मात्र 1 सीट पर जीत हासिल की। यह सीट बेगूसराय के मटिहानी थी। यहां से राजकुमार सिंह ने जेडीयू के नरेंद्र कुमार सिंह को हराया। लेकिन ये राजकुमार भी जीतने के बाद नीतीश कुमार के साथ हो लिए हैं।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.