भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेतृत्व ने आगामी 10 जून को 57 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए 29 मई की शाम अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। बिहार से जिन दो नाम राज्यसभा के लिए घोषित किए गए हैं, उनमें सतीश चंद्र दुबे को दोबारा उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी ने गोपाल नारायण सिंह की जगह आरएसएस के स्वयंसेवक शंभू शरण पटेल को अपना उम्मीदवार बनाकर सब को चौंका दिया है। शंभू शरण पटेल मूलत: बिहार में शेखपुरा जिले के रहने वाले हैं। वहीं जनता दल यूनाइटेड ने भी पार्टी को मजबूती देने के उद्देश्य से झारखंड के प्रदेश जदयू अध्यक्ष खिरु महतो को उम्मीदवार बनाकर यह साफ कर दिया कि पार्टी में पैसे से ज्यादा अहमियत जनाधार वाले नेताओं की है।
शंभू शरण पटेल
शंभू शरण पटेल का जन्म 1982 में हुआ। इनके पिता रेलवे में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। जिसके कारण शंभू शरण पटेल की प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा गांव से बाहर हुई। वर्ष 1997 में उन्होंने मैट्रिक पास की इसके बाद इंटर व स्नातक पटना से ही किया। स्नातक पास करने के बाद पटेल ने राजनीतिक में अपना कदम रखा। शुरुआत से ही आरएसएस के स्वयंसेवक रहे शंभू शरण को भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश मंत्री के पद से नवाजा। जिसके बाद वह लगातार राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रहे। अब उन्हें पार्टी ने राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है।
30 मई को शंभू शरण पटेल ने बताया कि भाजपा ने इस बार एक नये उम्मीदवार को भी राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने फिर एकबार यह संदेश देने का प्रयास किया है कि आम कार्यकर्ताओं को भी भाजपा संसद पहुंचाती है। शेखपुरा जिले के भाजपा अध्यक्ष प्रोफेसर सुधीर कुमार ने कहा कि शंभू शरण पटेल जैसे छोटे कार्यकर्ताओं को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाए जाना यह अपने आप में भाजपा के कार्यों को बतलाता है।
सतीश चंद्र दुबे
भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2014 के आम चुनाव में सतीश चंद्र दुबे को वाल्मीकि नगर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यह सीट गठबंधन के अंदर जदयू के पास चली गयी थी। इसके बाद भाजपा ने पिछली बार भी इन्हें राज्यसभा भेजा था। सतीश चंद्र दुबे निर्विरोध जीते थे। इस बार फिर भाजपा ने सतीश चंद्र दुबे पर भरोसा जताया है। वह 2005 में नरकटियागंज से बिहार विधानसभा के लिए भी चुने जा चुके हैं। सतीश चंद्र दुबे बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले हैं।
खिरू महतो
खिरू महतो का जन्म वर्ष 1953 में हजारीबाग, झारखंड प्रदेश में हुआ था। खिरु महतो जदयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष हैं। जदयू के ही टिकट पर 2005 में वो मांडू विधानसभा से उम्मीदवार रहे और चुनाव में इन्होंने जीत दर्ज की थी। उसके बाद पार्टी ने भरोसा जताते हुए उन्हें झारखंड की कमान सौंपी थी। खिरु महतो को पार्टी ने यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वह प्रदेश में संगठन को मजबूत करें। अब राज्यसभा भेजकर नीतीश ने यह साबित करने कर दिया है कि जदयू पूंजीपतियों की नहीं अपितु कार्यकर्ताओं का पार्टी है। इससे पहले भी उद्योगपति किंग महेंद्र की मौत के बाद खाली हुई सीट पर उन्होंने अनिल हेगड़े को भेजा था, जो पार्टी के कार्यकर्ता हैं।