भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीचंद पडलकर अब सोनिया गांधी को पत्र लिखेंगे। यह पत्र वे अपने लिये नहीं बल्कि प्रदेश में राष्ट्रवादी कांग्रेस के सामने बौनी होती कांग्रेस की परिस्थिति को सूचित करने के लिए लिखेंगे। इस पत्र के माध्यम से वे राज्य में कैसे-कैसे एक-एक मुद्दे पर कांग्रेस दबती रही है इसका उल्लेख करेंगे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के काका-भतीजा के आगे कांग्रेस नतमस्तक हो रही है। इसका दुख जितना कांग्रेस के निष्ठावानों को है उससे कम भाजपा को नहीं है। तभी तो अब कांग्रेस हाइकमांड के पास पत्र लिखने जा रहे हैं भाजपा के गोपीचंद पडलकर।
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पडलकर का मत
कांग्रेस के मंत्री लाचार हैं, सत्ता की चासनी में लपेट दिये जाने के कारण वे राष्ट्रीवादी कांग्रेस पार्टी के काका (शरद पवार)-भतीजे (अजीत पवार) के सामने सिर हिलाने का ही काम करते हैं। मैं, सोनिया गांधी को यह बताउंगा कि उनके मंत्री फुले-साहू और आंबेडकर के विचारों से कितना काम करते हैं। शरद पवार की अगुवाई वाली यह सरकार बहुजनों से कितना द्वेष रखती है यह सिद्ध हो गया है। मराठा आरक्षण और ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण व पदोन्नति के विषय में इन्हें सर्वोच्च न्यायालय में कोई कदम नहीं उठाना है, लेकिन अपनी पसंद के अधिकारियों की पदोन्नति के लिए न्यायालय के आदेश तक भी नहीं रुकना चाहते।
न्यायालयाच्या निर्णयाआधीच आपल्या मर्जीतल्या अधिकाऱ्यांना पदोन्नती देण्यासाठी या बहुजनद्वेष्ट्या सरकारची किती लगबग चाललीये आणि सत्तेची वेसन घातलेले कॉंग्रेसचे लाचार मंत्री मात्र काका-पुतण्यापुढे फक्त माना डोलवतायेत. मी लवकरच माननीय सोनिया गांधींना तुमचे मंत्री pic.twitter.com/ZdCsgIe1Hx
— Gopichand Padalkar (@GopichandP_MLC) June 4, 2021
पत्र पडलकर का, लाभ कांग्रेसियों का
गोपीचंद पडलकर की कांग्रेस हाइकमांड के समक्ष कितनी सुनवाई होती है यह तो नहीं पता, लेकिन पर्दे के पीछे धकेल दिये गए कांग्रेस के नेताओं को इससे कुछ खुशी अवश्य प्राप्त होगी। जिसमें मुंबई के कई उत्तर भारतीय नेता भी हैं, जिन्हें निष्ठा के बाद भी पर्दे के पीछे धकेल दिया गया है। इसमें मुंबई कांग्रेस के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष, पूर्व गृहराज्य मंत्री आदि शामिल हैं।
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शिवराज सिंह चौहान ने भी लिखा था पत्र
भाजपा नेताओं द्वारा कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखने का यह कोई पहला अवसर नहीं है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कलनाथ की शिकायत की थी। यह शिकायत तत्कालीन मंत्री इमरती देवी पर कमलनाथ के बयान को लेकर की गई थी।