रामपुर विधानसभा सीट भी नहीं बचा पाए, अब क्या करेंगे आजम खान?

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार के आने के बाद से ही राज्य में रसूख रखने वाले आजम खान परिवार मुश्किलों में है।

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उत्तर प्रदेश की चर्चित विधानसभा सीट रामपुर में आजम खान को बड़ा झटका लगा है। यहां से भाजपा उम्मीदवार आकाश सक्सेना की 33 हजार मतों से बड़ी जीत हुई है। इस जनादेश के बाद यहां के समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान का राजनीतिक भविष्य दांव पर लग गया है। वे यहां से 10 बार चुनाव जीत चुके हैं और यह उपचुनाव उनके लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था।

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार के आने के बाद से ही राज्य में रसूख रखने वाले आजम खान परिवार मुश्किलों में है। कानूनी मुकदमों में फंसे खान की आगे की राह भी आसान नहीं लग रही है।

पार्टी में ही उठने लगे हैं सवाल
रामपुर सीट से हारने के बाद उनकी प्रतिष्ठ और धूमिल हो गई है। खुद की पार्टी में ही उनके जनाधार पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। मुस्लिम बहुल इस सीट पर आसिम रजा को सपा ने टिकट दिया था, लेकिन वे भाजपा प्रत्याशी से हार गए। अब यह भी कहा जा रहा है कि नेताजी के निधन पर पार्टी में उनका प्रभाव कम हो गया है।

आजम के करीबी माने जाते हैं आसिम रजा
बता दें कि उपचुनाव में किस्मत आजमा रहे आसिम रजा आजम खान के करीबी माने जाते हैं। लेकिन वे जीत नहीं पाए। इससे पहले रामपुर लोकसभा सीट भी सपा गंवा चुकी है। इन दोनों ही चुनावों में सपा की हार पर कहा जाने लगा है कि उनका अब पहले जैसा दबदबा नहीं रहा। खान के खिलाफ शिकायत करने वालों में कई लोग मुस्लिम समुदाय के ही हैं।
अप्रैल में सपा के दिग्गज शफीकुर रहमान बर्क ने पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए मुस्लिम समुदाय को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि आजम खान को लेकर भी पार्टी का मोहभंग होता दिख रहा है।

अखिलेश यादव पर दागे थे सवाल
रामपुर में खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान शानू ने कहा था कि अखिलेश यादव नहीं चाहते कि आजम खान बाहर आएं। हमने आपको और मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन आपने आजम खान को विपक्ष का नेता नहीं बनाया। इसके साथ ही आप केवल एक बार ही उनसे जेल में मुलाकात करने गए।

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