कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुयुरप्पा की इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री की खोज पूरी हो गई है। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने बसवराज बोम्मई के नाम पर सहमति व्यक्त की है। बसवराज अनुभवी नेता हैं, राजनीति में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। इस नाम पर सहमति के बाद राज्य की कमान फिर लिंगायत समाज के हाथ ही गई है।
बसवराज बोम्मई राजनीतिक पृष्ठभूमि के परिवार से हैं। उनके पिता एसआर बोम्मई भी राज्य के मुख्यमंत्री थे। जबकि बीएस येदियुरप्पा की सरकार में बसवराज को गृहमंत्री बनाया गया था। वे मूल रूप से हुबली के हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके पहले वर्ष 2004 से 2008 के बीच भी वे कर्नाटक विधान सभा के सदस्य रहे हैं। बसवराज पर गृह मंत्रालय के अलावा कानून और संसदीय मामले की जिम्मेदारी भी थी। इसके अलावा वे हावेरी और उडुपी जिले के प्रभारी मंत्री भी रहे हैं।
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ऐसा रहा राजनीतिक सफर
बसवराज बोम्मई ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनता दल के साथ की थी। वे धारवाड़ स्थानीय प्रशासन से दो बार विधान परिषद के लिए चुने गए थे। वर्ष 2008 में उन्होंने जनता दल छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। इसके बाद वे शिगगांव से विधायक चुने गए।
ऐसे हुआ निर्णय
राज्य का मुख्यमंत्री चुनने के लिए बेंगलुरु के एक निजी होटल में भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल की बैठक आयोजित की गई थी। इसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में धर्मेंद्र प्रधान और जी.किशन रेड्डी उपस्थित थे। इस बैठक के पहले पर्यवेक्षकों ने बीएस येदियुरप्पा से और प्रदेशाध्यक्ष नलिन कुमार कतील से भेंट की थी। मंगलवार सायंकाल 7 बजे निवर्तमान कार्यवाहक मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बसवराज बोम्मई के नाम का प्रस्ताव पेश किया।
Congratulations Sri @BSBommai on being elected as the legislative party leader of @BJP4Karnataka & CM Elect . A seasoned politician & an old hand at administration , he will take the state to new heights in development .
— B L Santhosh (@blsanthosh) July 27, 2021
लिंगायत समाज का समर्थन
बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समाज से हैं। राज्य में भाजपा को लिंगायत मठों का बड़ा समर्थन प्राप्त है। ऐसे में येदियुरप्पा के हटने के बाद कौन मुख्यमंत्री हो इसके लिए बड़ी माथापच्ची करने पड़ी। सूत्रों के अनुसार बसवराज बोम्मई के नाम का प्रस्ताव लिंगायत समाज के सामने येदियुरप्पा ने रखा था जिसका समाज के मठों ने समर्थन कर दिया।
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त्रिकोण साध लिया
बीएस येदियुरप्पा के हटने का बाद भी उनका समर्थन, लिंगायत समाज का साथ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सहमति इन त्रिकोणों को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चल रहा था। इसके लिए भाजपा ने सबसे पहले बीएस येदियुरप्पा का समर्थन प्राप्त करने के लिए उनकी पसंद का ध्यान रखा। माना जा रहा है कि बसवराज बोम्मई के नाम का प्रस्ताव काफी पहले ही वे शीर्ष नेतृत्व को दे चुके थे। इसका दूसरा कोण था लिंगायत समाज, येदियुरप्पा के कारण भाजपा के साथ लिंगायत समाज के मठों का बड़ा समर्थन है। इसे भाजपा अपने से दूर नहीं करना चाहती है, इसलिए येदियुरप्पा के बाद इसी समाज के नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाह रही थी, भाजपा। इस चयन में बसवराज बोम्मई पास हो गए, जबकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सहमति भी आवश्यक है, जिसे भाजपा ने बोम्मई के नाम से प्राप्त कर लिया।