बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ लेने के बाद कर्नाटक के नए सीएम बन गए हैं। वे प्रदेश के 23वें मुख्यमंत्री हैं। शपथ ग्रहण से पहले बोम्मई ने कहा कि उन्हें येदिुरप्पा के लंबे अनुभव का लाभ मिलेगा। दो दिन पहले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बसवराज बोम्मई कर्नाटक के मुख्यंत्री बने हैं। येदियुरप्पा के त्याग पत्र का कारण उनकी बढ़ती उम्र को बताया जा रहा है। बोम्मई येदियुरप्पा के करीबी माने जाते हैं। ये दोनों ही लिंगायत समुदाय से आते हैं।
Congratulations to Shri @BSBommai Ji on taking oath as Karnataka’s CM. He brings with him rich legislative and administrative experience. I am confident he will build on the exceptional work done by our Government in the state. Best wishes for a fruitful tenure.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 28, 2021
येदियुरप्पा और लिंगायत समुदाय को साधने की कोशिश
बोम्मई को सीएम बनाकर पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और लिंगायत समुदाय दोनों में तालमेल बैठाने की कोशिश की है। बोम्मई भी उसी लिंगायत समुदाय से आते हैं, जिससे येदियुरप्पा का संबंध है।
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पहले के घटनाक्रम
बसवाराज बोम्मई सीएम पद की शपथ लेने के लिए 28 जुलाई की सुबह 10.30 बजे ही राजभवन पहुंच गए। इस दौरान पार्टी के अन्य नेता और पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा भी उनके साथ थे। इससे पहले उन्होंने केंद्रीय मंत्री और पर्यवेक्षक के तौर पर कर्नाटक पहुंचे धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की थी। बोम्मई को 26 जुलाई की शाम पार्टी हाईकमान की ओर से प्रदेश का नया मुख्यमंत्री घोषित किया गया था। इससे पहले 25 जुलाई को येदियुरप्पा ने सीएम के पद से त्यााग पत्र दे दिया था। बोम्मई ने सीएम के पद पर अपने नाम की घोषणे के बाद कहा था कि वे राज्य में गरीबों के लिए कल्याण के लिए काम करेंगे और जनहित की सरकार देंगे।
पिता भी थे प्रदेश के मुख्यमंत्री
बसवराज बोम्मई राजनीतिक पृष्ठभूमि के परिवार से हैं। उनके पिता एसआर बोम्मई भी राज्य के मुख्यमंत्री थे। जबकि बीएस येदियुरप्पा की सरकार में बसवराज को गृहमंत्री बनाया गया था। वे मूल रूप से हुबली के हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके पहले वर्ष 2004 से 2008 के बीच भी वे कर्नाटक विधान सभा के सदस्य रहे हैं। बसवराज पर गृह मंत्रालय के अलावा कानून और संसदीय मामले की जिम्मेदारी भी थी। इसके अलावा वे हावेरी और उडुपी जिले के प्रभारी मंत्री भी रहे हैं।