कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों की तकररा खत्म होता नहीं दिख रहा है। कुछ किसान संगठन जहां तीनों कृषि कानूनों को वासप लेने की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं, वहीं सरकार ने भी दो टूक कह दिया है कि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे। हालांकि सर्वोच्च न्यायायलय अपनी तरह से मामले का हल निकालने की कोशिश क रहा है। लेकिन किसान विरोध प्रदर्शन करने पर अड़े हुए हैं। वे 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली निकालने पर अमादा हैं। इस बीच सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली है। न्यायालय इस मामले पर 17 जनवरी को सुनवाई करेगा।
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केंद्र सरकार ने याचिका में क्या कहा?
सर्वोच्च न्यायायलय में दायर याचिका में केंद्र सरकार ने कहा है कि 26 जनवरी को किसान के कुछ संगठन ट्रैक्टर रैली निकालने की योजना बना रहे हैं। ऐसे में उन्हें राजधानी के इलाके में घुसने से रोकने के लिए आदेश पारित किया जाए। सरकार का आरोप है कि कुछ किसान संगठनों ने इस तरह की घोषणा राष्ट्रीय महत्ता के समारोह को प्रभावित करने के मकसद से की है। उसका कहना है कि अगर किसान अपनी जिद पर अड़े रहते हैं तो राजधानी में कानून-व्यवस्था की बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। सरकार का तर्क है कि देश में प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन एक सीमा के बाद उस पर रोक है। देश के सम्मान को प्रदर्शन के नाम पर धूमिल करने की इजाजत किसी को भी नही दी जा सकती।
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ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े किसान
बता दें कि प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सीमा पर जमा हैं। कुछ संगठनों ने 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा की है। गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की इस घोषणा पर सर्वोच्च न्यायालय का क्या रुख रहता है, इस पर सबकी नजर लगी हुई है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में किसान संगठनों को पहले ही नोटिस जारी किया है।