असम विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी पार्टियों असम गण परिषद( एजीपी) तथा यूनाइटेड पीप्लस पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के बीच 92 सीटों पर तालमेल हो गया है। इनमें से ज्यादातर सीटों पर पहले और दूसरे चरण में मतदान होने हैं। असम में कुल सीटों की संख्या 126 है।
असम में तीन चरणों में मतदान कराने की घोषणा की गई है। प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष रणजीत दास ने भाजपा, एजीपी और यूएपीएल की बैठक के बाद बताया कि भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों ने सीटों के तालमेल को अंतिम रुप दे दिया है। कौन-सा दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, मैं इस बारे में अभी ज्यादा कुछ नहीं बता सकता, क्योंकि हमारे सहयोगियों को अपने कुछ आंतरकि मामलों को सुलझाना है।
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मात्र 12 सीटों पर तय करने हैं उम्मीदवार
रणजीत दास ने कहा कि पार्टी को मात्र 12 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय करने हैं। उन सीटों पर विचार-विमर्श के बाद उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जाएगी। क्या इस चुनाव में प्रदेश के सीएम सर्बदानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री के उम्मीदवार नहीं होंगे, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि पार्टी जब सत्ता में होती है तो उस राज्य के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की जाती है। 2016 के चुनाव में भाजपा को 60 सीटों पर जीत निली थी,जबकि एजीपी की 14 सीटों पर जीत हुई थी।
Yesterday, we discussed the distribution of 86 seats to BJP, AGP & UUPL. No discussion on AGP's seats, have left it to them. Final numbers to be told by national president & AGP chief: Assam BJP chief Ranjeet Kumar Dass pic.twitter.com/jgdYzbJBZg
— ANI (@ANI) March 5, 2021
इस बार बदल गए हैं सहयोगी दल
बता दें कि यूपीपीएल हाल ही में भाजपा के साथ गठबंधन का हिस्सा बनी है। फिलहाल विधानसभा में उसके एक भी सदस्य नहीं हैं। पिछले चुनाव में बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट( बीपीएफ), भाजपा और एजीपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और उसने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार के चुनाव में बीपीएफ ने कांग्रेस और एआईडीयूएफ के साथ गठबंधन किया है।
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असम में तीन चरणों में मतदान
असम में 27 मार्च से छह अप्रैल के बीच तीन चरणों में मतदान संपन्न होंगे। पहले चरण में 47, दूसरे चरण में 39 और तीसरे चरण में 40 विधानसभा सीटों पर मतदान कराए जाएंगे। पिछले चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के 10 सालों की सत्ता को अंत करते हुए पहली बार किसी पूर्वोत्तर राज्य में सत्ता हासिल की थी।
भाजपा के लिए सत्ता बरकरार रखना बड़ी चुनौती
इस बार सत्ता बरकरार रखना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी चुनाव की तारीखो के ऐलान से काफी पहले से ही यहां चुनावी तौयारियों में जुटी है। अब तक पार्टी के बड़े से बड़े नेता यहां का कई बार दौरा कर चुके हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पश्चिम बंगाल के साथ ही असम का भी दौरा किया था। उनसे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस प्रदेश का कई बार दौरा कर मतदाताओं को रिझाने की कोशश की है।
The biggest issue is to make Assam, flood-free in the next 5 years. We have to continue with the development agenda that was started by us. We also have to complete issues like NRC. We will definitely form the Govt: Assam Minister Himanta Biswa Sarma pic.twitter.com/6wDIAiaB7A
— ANI (@ANI) March 5, 2021
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सीएए बड़ा मुद्दा
असम में नागरिकता संशोधन कानून सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। भारतीय जनता पार्टी जहां इसे लागू करना चाहती है, वहीं एयूडीएफ इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में जुट गई है। पार्टी प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने एक बयान में कहा है कि सीएए हमारे लिए सबसे बडा मुद्दा है। हमारी पार्टी इसे चुनावी मुद्दा बनाएगी। बोडोलैंड डेमोक्रेटिक फ्रंट( बीडीएफ), कांग्रेस और एआईयूडीएफ के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि सीट बंटवारा हमारे लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य लक्ष्य भाजपा को असम से विदा करना है।
यह है कारण
सीएए को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की वजह यह है कि विपक्षी पार्टियों को इस मुद्दे पर सत्ताधारी पार्टी भाजपा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। साल 2019 में असम के ऊपरी जिलों में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जमकर प्रदर्शन हुआ था। असम के जो वर्ग दशकों से राज्य मे रह रहे हैं, सीएए को लोकर उनमें गुस्सा है। प्रदेश में छात्र संगठन एएएसयू और एआयसीपी तथा कृषक संग्राम समिति सीएए के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। इसलिए विपक्ष इसे मुद्दा बानकर मतदातओं की भावनाओं को भुनाना चाहता है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी असम के तेजपुर में यह ऐलान किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो सीएएस को लागू नहीं करेगी। वास्तव में इस बार के चुनाव में यह तय होगा कि जनता सीएए के पक्ष में है या नहीं।