15वीं विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत में ही कांग्रेस और सरकार को समर्थन दे रहे विधायकों के तीखे तेवरों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान जहां कांग्रेस और असंतुष्ट विधायकों ने अपनी सरकार पर हमला बोला, वहीं निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब 10 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से सदन में अपनी सरकार के पांचवें और अंतिम बजट पेश करने से पहले असंतुष्ट और निर्दलीय विधायकों के मान मनौव्वल का दौर शुरू हो चुका है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने असंतुष्ट विधायकों की नाराजगी दूर करने का जिम्मा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्य सचेतक महेश जोशी को सौंपा है।
असंतुष्ट विधायकों को मनाने की कोशिश
जानकारों की मानें तो प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्य सचेतक महेश जोशी लगातार असंतुष्ट विधायकों और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को फोन करके सदन में पूरी मजबूती के साथ सरकार के साथ खड़े होने की अपील कर रहे हैं। साथ ही उनके गिले-शिकवे भी सुन रहे हैं और उनके समस्याओं के समाधान का आश्वासन भी दे रहे हैं। बताया जाता है कि पिछले कई दिनों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा करीब एक दर्जन विधायकों को फोन करके उनकी शिकायतें सुन चुके हैं। दूसरी ओर ब्यूरोक्रेसी के बीच भी ऐसी चर्चा है कि सरकार में उच्च स्तर से तमाम अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वो विधायकों के कामों को प्राथमिकता पर लें और किसी भी विधायक की नाराजगी जाहिर नहीं होनी चाहिए। अगर कोई विधायक काम लेकर आता है तो तत्काल प्रभाव से उसके कामों का निपटारा होना चाहिए।
कई विधायकों ने अपनी ही सरकार पर उठाये थे सवाल
इससे पहले राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान हरीश चौधरी, संयम लोढ़ा, बलजीत यादव सहित कई विधायकों ने पेपर लीक मामले को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े किए थे और आरोपियों पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होने के आरोप लगाए थे। दूसरी तरफ मारपीट और अपहरण के मामले में सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा पर मुकदमा दर्ज होने को लेकर पायलट कैंप के विधायकों में भी नाराजगी देखने को मिल रही है। हालांकि, अभी तक पायलट गुट के विधायकों ने इस मामले में खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की है लेकिन अंदरखाने नाराजगी बढ़ती जा रही है। पार्टी आलाकमान की ओर से अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बदलने और समानांतर विधायक दल की बैठक बुलाने को लेकर संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होने से भी को लेकर भी पायलट गुट के विधायकों में नाराजगी बढ़ रही है।