कांग्रेस में एक और टूट? जी-23 के सदस्यों ने गांधी परिवार को दी यह चेतावनी

पांच राज्यों में हुए चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की परेशानी बढ़ती दिख रही है। ये परेशानी बाहरी नेताओं नहीं, बल्कि अपनी ही पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के कारण बढ़ती दिख रही है।

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कांग्रेस में एक बार फिर दो फाड़ होने जा रहा है । असंतुष्ट खेमा, जिसे जी-23 के नाम से जाना जाता है । इसमें शामिल नेताओं ने  गांधी परिवार को खुली चेतावनी दे दी है। समूह के नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा है कि गांधी परिवार अपने आसपास के चाटुकार नेताओं को बाहर करे, नहीं तो कांग्रेस को टूटने से कोई नहीं बचा सकता। असंतुष्ट नेता गुलाम नबी आजाद के घर हुई बैठक में नेताओं ने गांधी परिवार के नेतृत्व के खिलाफ हुंकार भर दी है।

सामूहिक, समावेशी नेतृत्व की जरूरत
पार्टी के असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए सबसे पहले चाटुकार नेताओं की बजाय सामूहिक निर्णयों से पार्टी को चलाना होगा । सूत्रों के अनुसार असंतुष्ट नेताओं का मानना है कि कांग्रेस अब डूबता जहाज है । अब इसे चलाने के लिए गैर गांधी परिवार नेता को पार्टी की कमान सौंपनी चाहिए। जी 23 के प्रमुख सदस्य कपिल सिब्बल लगातार कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बोलते रहे हैं। अपने ताजे बयान में उन्होंने पार्टी में जान फूंकने के लिए सामूहिक और समावेशी नेतृत्व की जरूरत बताई है।

सुनील जाखड़ ने भी की आलोचना
कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ भी पार्टी के नेतृत्व करने के ढंग से नाराज हैं। जाखड़ का आरोप है कि गांधी परिवार लोगों के चरित्र को समझ नही पाता है। उनका कहना है कि कुछ चाटुकारों के कारण कांग्रेस पार्टी के चन्नी वाले हालात बन गए हैं।

आर-पार के मूड में जी 23
पार्टी के असंतुष्ट नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ अपनी लड़ाई तेज कर दी है। अभी नहीं ,तो कभी नहीं, की तर्ज पर ये नेता पार्टी नेतृत्व को बदलने की मांग कर रहे हैं । असंतुष्ट नेताओं की गतिविधियों का केन्द्र गुलाम नबी आजाद का घर बना हुआ है । ग्रुप -23 के नेता शशि थरूर ने तो यहां तक कह दिया है कि यदि कांग्रेस को प्रासंगिक बने रहना है तो पार्टी में कई बदलाव लाने होंगे । पार्टी के संगठनात्मक नेतृत्व में बदलाव अब टाला नहीं जा सकता।

 क्यों उठ रहे है विरोध के स्वर?
अगस्त 2020 में असंतुष्ट गुट के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे पत्र में कई मांगें रखी थीं, जिनमें ब्लॉक स्तर पर संगठन के चुनाव कराने, संसदीय बोर्ड बनाने , स्वतंत्र केन्द्रीय चुनाव समिति बनाने की मांगें महत्वपूर्ण थीं । इन नेताओं ने पार्टी में नीतियों के लिए एक व्यवस्थित मेकेनिज्म बनाने की भी मांग उठाई थी ।

असंतुष्ट नेताओं में ये शामिल
गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल ,शशि थरूर , मनीष तिवारी , आनंद शर्मा , पीजे कुरियन ,रेणुका चौधरी , मिलिंद देवड़ा , मुकुल वासनिक , भूपेन्द्र हुड्डा, कुलदीप शर्मा , राजेन्द्र कौर भट्टल , एम .वीरप्पा मोहली , पृथ्वी राज चव्वाण , अजय सिंह , राज बब्बर ,अरविंदर सिंह लवली , कौल सिंह ठाकुर, विवेक तन्खा , अखिलेश सिंह और जतिन प्रसाद, जो उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं ।

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