बीजेपी से उखड़े खड़से होंगे राष्ट्रवादी

एनसीपी ने खड़से को अपनी पार्टी में आने पर उपहार स्वरुप उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए उन्हें राज्यपाल द्वारा मनोनीत विधान परिषद का सदस्य बनाया जाएगा। संयोग कहें या सोची-समझी रणनीति कि राज्य में बहुत जल्द 12 विधान परिषद सदस्यों को मनोनीत किया जाना है।

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से का पार्टी से अब पूरी तरह मोहभंग हो गया है।राज्य स्तर पर भाव नहीं मिलने के कारण पहले से ही पार्टी से नाराज चल रहे ओबीसी के इस दबंग नेता को अब सेंटर से भी कोई उम्मीद नहीं रह गई है। इस वजह से वो बहुत जल्द राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रवाद की अलख जगाते नजर आएंगे। खड़से के साथ भाजपा के कई वर्तमान और पूर्व विधायक,नेता तथा कार्यकर्ता के भी एनसीपी में शामिल होने की उम्मीद है। मिली जानकारी के मुताबिक उनके गृह नगर मुक्ताई नगर में इसके लिए हाल ही में एक बैठक हुई थी,जिसमें खडसे  के साथ ही धुलिया के शिवसेना के पूर्व विधायक शरद पाटिल भी अपने समर्थकों के साथ मौजूद थे। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में अगले एक हफ्ते में दोनोे नेताओं ने एनसीपी में शामिल होने का निर्णय लिया है।

दोनों नेता नाराज
बता दें कि खड़से की तरह शरद पाटिल भी काफी समय से शिवसेना से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने पिछले चुनाव में शिवसेना से इस्तीफा देकर निर्दलीय उम्मीदवार का चुनाव प्रचार किया था। उस समय से ही उनके एनसीपी में शामिल होने की चर्चा गरम है।

खडसे को मंत्री पद का उपहार
पार्टी सूत्रों के मुताबिक एनसीपी ने खड़से को अपनी पार्टी में आने पर उपहार स्वरुप उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए उन्हें राज्यपाल द्वारा मनोनीत विधान परिषद का सदस्य बनाया जाएगा। संयोग कहें या सोची-समझी रणनीति कि राज्य में बहुत जल्द 12 विधान परिषद सदस्यों को मनोनीत किया जाना है। इनमें एनसीपी के 4, शिवसेना के 4 और कांग्रेस के भी 4 सदस्यों को मनोनीत किया जाएगा।

एनसीपी 
एनसीपी में एकनाथ गायकवाड के साथ ही स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के राजू शेट्टी के नाम की भी चर्चा है। इनके आलावा आनंद शिंदे,उत्तमराव जानकर के नामों पर भी मुहर लग सकती है।

कांग्रेस
सत्यजीत तांबे, नसीम खान,रजनी पाटील और सचिन सावंत

शिवसेना
मिलिंद नार्वेकर, आदेश बांदेकर,वरुण देसाई और अन्य

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गायकवाड़ दबंग ओबीसी नेता
एकनाथ गणपतराव खड़से ओबीसी के दबंग नेता माने जाते हैं और वे मुक्ताई नगर सीट से जीतते रहे हैं। वे महाराष्ट्र के राजस्व विभाग के मंत्री थे। इससे पहले 2014 से 2016 तक वे महाराष्ट्र के कृषि मंत्री थे। 2009 से 2014 तक वे महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। 2016 में उन्हें पद के दुरुपयोग करने को लेकर मंत्री पद से त्याग पत्र देना पड़ा था। उन्हें मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार माना जाता था। लेकिन पार्टी ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने का निर्णय ले लिया। 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में उन्हें भाजाप ने उम्मीदवारी नहीं दी। हालांकि उनकी बेटी रोहिणी खड़से-खेवलकर को उम्मीदवारी दी गई थी। शिवसेना के चंद्रकांत पाटिल ने रोहिणी को 1989 वोटों से हरा दिया था। टिकट नहीं मिलने की वजह से नाराज खडसे ने आरोप लगाया था कि फडणवीस और गिरीश महाजन के कारण उनको टिकट नहीं दिया गया।

एनसीपी बढ़ाना चाहती है अपनी ताकत
इन दिनों एनसीपी में दूसरी पार्टी के नेताओं की भर्ती जोर-शोर से शुरू होने की बात कही जा रही है।इसका कारण यह बताया जा रहा है कि वह महाराष्ट्र में अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश जी जान से कर रही है। पार्टी को भरोसा है कि खडसे जैसे दबंग ओबीसी नेता के आने से उसकी ताकत काफी बढ़ेगी और अगर भविष्य में कभी मध्यावधि चुनाव की नौबत आई तो एनसीपी अपने दम पर ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। चर्चा यह भी है कि पार्टी सुप्रीमो शरद पवार चाहते हैं कि पिछले कुछ सालों में जिन एनसीपी नेताओं ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है, उनकी भी घर वापसी कराई जाए। पवार साहब की इच्छा पूर्ति के लिए पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं द्वारा प्रयास किए जाने की बात कही जा रही है।

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