“उद्धव ठाकरे ने अवैध रूप से पार्टी संविधान में किया संशोधन”- शिंदे गुट का आरोप

महेश जेठमलानी ने कहा कि यह सच है कि शिंदे गुट ने विधानसभा में बहुमत का प्रस्ताव जीत लिया है। इससे साबित होता है कि हम असली शिवसेना हैं।

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महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई 14 फरवरी तक के लिए स्थगित होने के बाद सभी की निगाहें केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा की जा रही सुनवाई पर टिक गई हैं। अब इस बात पर विवाद शुरू हो गया कि यह धनुष बाण किसका चुनाव चिन्ह है। एकनाथ शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने बहस की। 10 जनवरी को आयोग के समक्ष शिंदे समूह की बहस समाप्त हुई। बहस के दौरान वकील जेठमलानी ने उद्धव ठाकरे पर सीधे तौर पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने 2018 में शिवसेना पार्टी संविधान में जो बदलाव किए थे, वे अवैध थे।

क्या कहा वकील जेठमलानी ने?
महेश जेठमलानी ने कहा कि यह सच है कि शिंदे गुट ने विधानसभा में बहुमत का प्रस्ताव जीत लिया है। इससे साबित होता है कि ये असली शिवसेना हैं। हमने चुनाव आयोग से कहा है कि हमारे पास पूर्ण बहुमत है और संगठनात्मक रूप से पार्टी पर हमारा पूरा नियंत्रण है।

पार्टी संविधान में सुधार अवैध
जेठमलानी ने कहा,” शिवसेना का 2018 में पार्टी कानून में बदलाव अवैध था। क्योंकि शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने 1999 में पार्टी कानून बनाया था। जिसमें कहा गया था कि पार्टी के भीतर पदाधिकरियों के चुनाव होंगे, लेकिन 2018 में उद्धव ठाकरे ने पार्टी के कानून में संशोधन करते हुए कहा कि इस तरह के चुनाव नहीं होंगे। कहा गया था कि शिवसेना पार्टी प्रमुख के पद को छोड़कर कार्यकारिणी में अन्य पदों के लिए चुनाव कराने की जरूरत नहीं है। यह गलत है कि पार्टी प्रमुख कार्यकारिणी का चुनाव करेंगे। यही कारण है कि पार्टी में आंतरिक चुनाव नहीं हुए। उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे और शिवसैनिकों को बहुत परेशान किया, इसलिए हमने जुलाई 2022 में प्रस्ताव पारित किया और फैसला किया कि हम पार्टी से अलग होंगे।”

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