केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के बीच सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले के बाद अपने-अपने तोते उड़ाने का सिलसिला जारी है। एसएसआर मामले में महाराष्ट्र सरकार ने जहां मुंबई पुलिस के रुप में अपने तोते उड़ाए थे, वहीं केंद्र ने इसे सीबीआई को सौंप कर अपने तोते उड़ाए थे। इसके साथ ही कंगना रनौत के ऑफिस पर तोड़क कार्रवाई कर जहां महाराष्ट्र सरकार ने अपने तोते उड़ाए तो केंद्र ने कंगना को वाई सुरक्षा देकर अपने तोते उड़ाए। अब जब केंद्र ने
शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के पीछे ईडी के तोते उड़ाए हैं, तो बीजेपी नेता और विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर के मुंबई बैंक घोटाले की जांच शुरू कर राज्य की उद्धव सरकार ने अपने तोते उड़ा दिए हैं। लेकिन इस बीच जिनके खिलाफ जांच की कार्रवाई हो रही है उनके भी तोते उड़े हुए हैं।
सहकारिता मंत्री ने दी जानकारी
मुंबई बैंक घोटाले को लेकर प्रवीण दरेकर के खिलाफ जांच का आदेश सहकारिता आयुक्त अनिल कवडे ने जारी किया है। इस बारे में जानकारी देते हुए राज्य के सहकारिता मंत्री बालासाहब पाटील ने कहा कि बैंक का अध्यक्ष कोई भी हो, अगर घोटाला हुआ है तो जांच होगी।
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जांच से मैं घबरा नहीं रहा हूंः दरेकर
इस बीच प्रवीण दरेकर के भी बयान सामने आए हैं। उन्होंने कहा है कि जांच से मैं घबरा नहीं रहा हूं। उन्होंने कहा कि मुंबई बैंक मुनाफे में है और उसे ए वर्ग का दर्जा मिला है। इस बैंक में मैं अकेला नहीं हूं, बल्कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के भी प्रतिनिधि शमिल हैं। उन्होंने कहा कि मैंने पिछले कुछ समय से सरकार के अनेक घोटालों को लेकर आवाज उठाई है। ये जांच उसी वजह से राजनीति से प्रेरित है।
मनसे नेता थे दरेकर
बता दें कि जब दरेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में थे, तो मुंबई बैंक को लेकर कई शिकायतें मिली थीं। कहा जाता है कि इसी जांच से बचने के लिए उन्होंने तत्कालीन फडणवीस सरकार के कार्यकाल में बीजेपी का दामन थाम लिया था। इस वजह से उनकी जांच नहीं की गई थी। लेकिन अब उद्धव सरकार आने के बाद एक बार फिर पुरानी फाइल की धूल झाड़कर जांच की जिन्न को बाहर निकाल दिया गया है।
क्या है मामला?
मुंबई बैंक की ठाकुर विलेज, कांदिवली, दामुनगर, अंधंरी पूर्व आदि की शाखाओं में फर्जी कर्ज लिए जाने का मामला सामने आया था। इसमें करोड़ों रुपए के घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। बताया जाता है कि इसमें मुंबई बैंक के अध्यक्ष प्रवीण दरेकर का हाथ था। इस घोटाले का पर्दाफाश बैंंक के एक सदस्य द्वारा नाबार्ड में शिकायत दर्ज कराने के बाद हुआ था। नाबार्ड के आदेश के अनुसार की गई जांच में बैंक की कई शाखाओं में बड़े पैमाने पर घोटाला किए जाने का मामला उजागर हुआ था। सिर्फ कांदिवली पूर्व और अशोक वन में स्थित बैंक की शाखाओं में 55 बोगस कर्ज दिए जाने के मामलों का पर्दाफाश हुआ था।
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