कांग्रेस नेता जयराम रमेश के एक ट्वीट के बाद राज्यसभा की ओर से जारी सर्कुलर को लेकर राजनीति गर्मा गई। कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दल के नेताओं ने इसको लेकर सरकार पर आरोप लगाए। हालांकि लोकसभा सचिवालय ने स्पष्ट किया कि सर्कुलर नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है।
राज्यसभा की ओर से 14 जुलाई को यह सर्कुलर जारी किया गया था। इसमें लिखा है कि संसद भवन के नजदीक प्रदर्शन, धरना, भूख हड़ताल और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं है। संसद सदस्यों से सहयोग की भी अपील की गई है।
इसी सर्कुलर को ट्वीट कर कांग्रेस महासचिव और चीफ व्हिप जयराम रमेश ने ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने लिखा है कि विश्वगुरु का नवीनतम फरमान ‘धरना मना है’। वहीं तृणमूल कांग्रेस की नेत्री महुआ मोइत्रा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि संसद परिसर से गांधी जी की प्रतिमा को हटा देना चाहिए और अनुच्छेद 19(1) को संविधान से मिटा देना चाहिए।
बाद में लोकसभा सचिवालय की ओर से इस दिशा-निर्देश पर स्पष्टीकरण आया। इसमें कहा गया है कि इस तरह की प्रक्रिया नियमित होती है और संसद सत्र से पूर्व इस तरह के दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के नेता शहजाद जयहिंद ने इस तरह के आरोपों पर कहा है कि अब यह विपक्ष की आदत हो गई है। गुरुवार को ‘शब्दों पर प्रतिबंध’ और अब ‘धरना पर प्रतिबंध’ जैसे मुद्दों को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने जो नोटिस जारी किया है वह 2009 से 2021 तक लगातार जारी होता रहा है।
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