और हार गया तालिबान! जानें आतंकियों के वो चार जानी दुश्मन

अफगानिस्तान में तालिबानियों के कब्जे के बाद देश की स्थिति बदतर हो गई है। लोग देश छोड़कर भागने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस बीच एक अलायंस तैयार हो गया है जो तालिबान को टक्कर दे रहा है।

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अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को टक्कर देने के लिए एक नई सेना तैयार हो गई है। इसमें नॉदर्न अलायंस और उसके साथियों की बैठक शुरू हुई है, इस बीच अमरुल्ला सालेह ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। इस अलायंस ने तालिबानियों को पहली हार का मजा भी चखा दिया है।

तालिबानी आतंकियों के दांत खट्टे करनेवाली पंजशीर घाटी में फिर विरोधी एकट्ठा हो गए हैं। इतना ही नहीं, जानकारी मिली है कि इस विरोधी अलायंस ने परवान प्रांत के चारिकार पर दोबारा नियंत्रण प्राप्त कर लिया है। यह रणनीतिक रूप से बड़ी जीत मानी जा रही है क्योंकि, चारिकार होकर ही राजधानी काबुल से उत्तरी अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहर मजार ए शरीफ पहुंचा जा सकता है।

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तालिबान को देंगे टक्कर
तालिबान शासन को टक्कर देने के लिए अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह, जनरल अब्दुल रशीद दोस्तम व अता मोहम्मद नूर और नॉदर्न अलायंस के नेता अहमद मसूद की सेना एक साथ आ गए हैं। इन नेताओं के अलायंस ने ही परवान प्रांत के चारिकार पर दोबारा नियंत्रण प्राप्त कर लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पंजशीर की ओर से सालेह के सैनिकों हमला किया था और वहां पंजशीर के नॉदर्न अलायंस के अधीन इस्लामिक फ्रंट का झंडा फहरा दिया है।

ये हैं तालिबान के दुश्मन

अहमद मसूद
अहमद शाह मसूद का बेटा है अहमद मसूद। जिन्होंने अब अपने पिता की ही भांति तालिबानियों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। इसके लिए अहमद मसूद ने विश्व के देशों से सहायता मांगी है। एक अमेरिकी अखबार से बातचीत में अहमद मसूद ने कहा है कि,
मुजाहिद्दीन लड़ाके एक बार फिर से तालिबान से लड़ने के लिए तैयार हैं। हमारे पास बड़ी मात्रा में हथियार और गोला बारूद है। मेरी अपील को स्वीकार करके कई लोग हमसे जुड़े हैं, सेना के कई जवान मेरे साथ हैं जो हथियार डालने से नाराज हैं। तालिबान मात्र अफगानिस्तान का ही दुश्मन नहीं है वह दुनिया का दुश्मन है।

अहमद मसूद के अहमद शाह मसूद का बेटा है। जिनके शासनकाल में पंजशीर घाटी पर कभी किसी दूसरे कब्जा नहीं हो पाया था। 1990 के गृह युद्ध में सोवियत संघ की सेना भी पंजशीर घाटी पर कब्जा नहीं जमा पाई थी। इसके बाद जब तालिबानी शासन आया तो उन्हें मुह की खानी पड़ी।

अमरुल्ला सालेह
सालेह ने अपने आपको अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। अमरुल्लाह सालेह वर्तमान समय में पंजशीर घाटी में हैं और गुरिल्ला युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। वे सेकंड रिजेस्टेंस और नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं।

    • कौन है सालेह?
    • अरुल्ला सालेह पिछले चालीस वर्षों से तालिबान से लड़ रहे
    • उन्हें छापामार युद्ध में महारत
    • तालिबान से लड़ने के लिए अहमद शाह मसूद के नॉदर्न अलायंस में
    • 1997 में सालेह को अहमद शाह मसूद ने ताजिकिस्तान के दुशानबे में आधिकारिक रूप से नियुक्त किया
    • 9/11 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की जांच में अमरुल्ला सालेह ने सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) को बहुत मदद की
    • 2004 में अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी नेशनल सेक्युरिटी डायरेक्टरेट (एनडीएस) के मुखिया नियुक्त हुए
    • 2010 में सालेह ने हामिद करजई की सरकार से इस्तीफा दे दिया
    • 2014 में राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार में इंटीरियर मिनिस्टर बने
    • 2019 के चुनावों के बाद उन्हें अफगानिस्तान का उप राष्ट्रपति बनाया गया

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अब्दुल रशीद दोस्तम

  • दोस्तम को मजार ए शरीफ का बूढ़ा शेर कहा जाता है
  • 1990 और 2001 में तालिबान को बल्ख प्रांत से उखाड़ फेंका
  • देश के उत्तर प्रांत में बड़ा प्रभाव
  • रह चुके हैं अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति
  • दोस्तम के नेतृत्व वाली मिलिशिया इस समय तालिबानियों से लड़ रही

अता मोहम्मद नूर

  • 1979 में सोवियत रूस के हमले के समय अफगानियों को एकजुट किया
  • जमीयत ए इस्लामी का गठन कर उसके कमांडर बने
  • 1996 में तालिबानियों के विरुद्ध अहमद शाह मसूद से मिलकर संयुक्त मोर्चा तैयार किया
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