Naxals: केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जिसने कभी नक्सलियों पर प्रतिबंध लगाया था, वही आज उनके साथ वार्ता की वकालत कर रही है। यह कांग्रेस की दोहरी सोच का जीवंत उदाहरण है। केन्द्रीय राज्यमंत्री ने निर्दोषों को मारने वालों को “सामाजिक दृष्टिकोण” से देखने की मानसिकता पर दुख जताया। उन्होंने सवाल किया कि बंदूक उठाकर लोगों को मारने वालों से बातचीत करने का औचित्य क्या है।
तेलंगाना के विकास के लिए 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री कुमार 5 मई को दोपहर कागज़नगर से करीमनगर जाते समय रामगुंडम के पास पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले केन्द्रीय राज्यमंत्री ने स्थानीय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिले और विचार विमर्श किया। केन्द्रीय राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार ने पत्रकारों को बताया कि “पिछले दस वर्ष में नरेन्द्र मोदी सरकार ने तेलंगाना के विकास के लिए 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। केवल राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए ही 1,25,485 करोड़ खर्च किए गए। इसके अलावा रेलवे विकास के लिए 32,000 करोड़ और धान की खरीद के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। उन्होंने कहा कि इसके
बाद भी कांग्रेस यह झूठ फैला रही है कि केन्द्र सरकार ने एक पैसा भी नहीं दिया। हमारे पास हर खर्च का हिसाब है। जिसे हम सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करने को तैयार हैं। हमने बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन वे सामने नहीं आए।
कांग्रेस अपनी छह गारंटियों पर पूरी तरह विफल
केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस अपनी छह गारंटियों पर पूरी तरह विफल रही है। अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए केन्द्र सरकार के खिलाफ झूठा प्रचार कर रही है और जातिगत जनगणना के नाम पर एक नया नाटक कर रही है। उन्होंने कहा कि वास्तव में राज्य सरकार ने कोई जाति जनगणना नहीं करवाई। केवल एक अधूरी सर्वेक्षण प्रक्रिया की जिसमें मात्र 50 प्रतिशत घरों तक ही पहुँचा गया। न तो यह जनगणना थी, न ही यह किसी तरह का व्यापक पारिवारिक सर्वे था। बंडी ने कहा कि इस तथाकथित जाति सर्वे के जरिए पिछड़े वर्गों के साथ गंभीर अन्याय किया गया। बीसी आबादी 52 फीसद होते हुए भी इसे 46फीसद बता दिया गया। 42 फीसद आरक्षण में से 10 फीसद मुस्लिमों को देकर खुला धोखा किया गया। उन्होंने कहा कि
इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार अब घर-घर जाकर, जनगणना की तर्ज पर जातिगत जनगणना करा रही है ताकि बीसी समाज के साथ हुआ अन्याय सुधारा जा सके और उनकी सही जनसंख्या का आकलन हो सके।
शांति वार्ता करने का नाटक
नक्सल कार्रवाई को रोककर उनके साथ शांति वार्ता करने को नाटक बताते हुए केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि क्या यह सच नहीं कि नक्सलियों पर सबसे पहले प्रतिबंध कांग्रेस सरकार ने ही लगाया था। आज वही कांग्रेस, केसीआर और रेवंत रेड्डी नक्सलियों को खुश करने की होड़ में हैं। उन्होंने कहा कि केसीआर ने 10 साल तक राज्य पर शासन किया। क्या वर्तमान सरकार में इतना साहस है कि वो नक्सली प्रतिबंध हटा सके। क्या बंदूक उठाकर निर्दोषों को मारने वालों से बातचीत संभव है।केन्द्रीय राज्यमंत्री कुमार ने प्रो. हरगोपाल और वरवर राव जैसे नक्सल समर्थकों से सवाल किया कि दशकों की हिंसा और रक्तपात के बावजूद उन्होंने आखिर हासिल क्या किया है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों को बंदूकें छोड़कर मुख्यधारा में आना ही होगा और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे नक्सलियों को समझाएं और आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करें।
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बातचीत का कोई प्रश्न ही नहीं
केन्द्रीय राज्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि हमारी तरफ से बातचीत का कोई प्रश्न ही नहीं है। दशकों से निर्दोषों व पुलिसवालों की हत्या से नक्सलियों ने क्या हासिल किया?। आज कांग्रेस सरकार कानून-व्यवस्था के मसले को सामाजिक दृष्टिकोण से देख रही है। यह भी दोहरी मानसिकता का उदाहरण है। बंडी संजय कुमार ने कहा कि नक्सलियों को हथियार त्याग कर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा और अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। तभी शांति की बात संभव है। इस दिशा में हरगोपाल, वरवर राव और अन्य नागरिक अधिकार नेताओं की ज़िम्मेदारी है कि वे नक्सलियों को समझाएं। बंडी ने सवाल कि जब नक्सली लैंडमाइंस से पुलिसकर्मियों को उड़ा रहे हैं, तो क्या रेवंत रेड्डी और केसीआर इसका समर्थन करते हैं? क्या वे निर्दोष आदिवासियों और ग्रामीणों को इनफॉर्मर कहकर गोली मारने का समर्थन करते हैं? उन्हें इसका जवाब देना होगा।