और बदल गया सम्मेलन का साहित्य ही… स्वातंत्र्यवीर सावरकर की अनदेखी पर विरोध से चेते

स्वातंत्र्यवीर सावरकर के स्पष्ट उल्लेख को लेकर अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का विरोध शुरू हो गया था। इस बार यह सम्मेलन नासिक में हो रहा है।

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94वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन नासिक में होने जा रहा है। इस सम्मेलन की स्थली स्वातंत्र्यवीर सावरकर की जन्मस्थली और क्रांति कार्यों की जननी भी है। ऐसे में उनके नाम का उल्लेख और उनके कार्यों की छाप साहित्य सम्मेलन में न होना चुभ रहा था। जिस पर नासिक वासियों ने आंदोलन शुरू कर दिया। जिससे चेते साहित्यजनों ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर के नाम को सम्मेलन के गीत (साहित्य) में शामिल कर लिया है।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने देश को 10 हजार पन्नों का साहित्य और 12 हजार पंक्तियों का काव्य दिया है। जिसमें 1857 के युद्ध को प्रथम स्वातंत्र्य समर घोषित करके उस पर ग्रंथ लिखनेवाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर ही थे, क्रांतिकारियों को प्रेरित करनेवाली और जिसकी प्रस्तावना क्रांतिकारियों की गीता मानी जाती थी उस ‘जोसेफ मेजिनी’ के जीवन चरित्र का अनुवाद भी वीर सावरकर ने ही किया। इसके अलावा ‘जयोस्तुते’ जैसी कालजयी रचना भी उनकी ही थी। इसके अलावा उर्दू में गजल भी वीर सावरकर द्वारा दी गई ग्रंथ संपदा का एक हिस्सा है। इन ग्रंथ संपदाओं और स्वातंत्र्य प्राप्ति के लिए किये गए महान कार्यों के प्रणेता की अध्यक्षता से 23वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन भी विभूषित हुआ। परंतु, स्वातंत्र्य प्राप्ति के अमृत महोत्सव में जब 94वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन हो रहा है और वह भी वीर सावरकर की कर्मस्थली नासिक में तो उनका नाम न लिया जाना वीर सावरकर के अनुयायियों को खल गया था।

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पहले से ही समाविष्ट था नाम

स्वातंत्र्यवीर सावरकर का नाम साहित्य सम्मेलन के गीत में पहले से ही शामिल था। मात्र उसमें स्वातंत्र्य सूर्य की उपमा दी गई थी। सूर्य एक ही होता है, इसलिए स्वातंत्र्य सूर्य, सावरकर के लिए कहा गया है। अब हमने गीत में स्वातंत्र्य सूर्य के उल्लेख के साथ उनकी फोटो भी ली है।
जय प्रकाश जातेगांवकर – प्रमुख कार्यवाह, 94वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन

सावरकरियों का तीव्र सुर, बदल गया गीत
नासिक में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के अनुयायियों ने साहित्य सम्मेलन के गीत में वीर सावरकर का स्पष्ट उल्लेख न होने से खिन्न थे। उन्होंने भगुर में विरोध प्रदर्शन किया। दूसरी ओर राष्ट्रव्यापी निषेध पत्र लेखन का कार्यक्रम भी शुरू करने की योजना रूप ले रही थी। लेकिन, इसके पहले ही अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के आयोजकों ने इसके गीत में ‘स्वातंत्र्य सूर्य सावरकर’ का उल्लेख करते हुए उनकी फोटो भी गीत में संलग्न कर दिया।

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