आरक्षण की 50 प्रतिशत संवैधानिक सीमा होगी समाप्त?

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आरक्षण की 50 प्रतिशत संवैधानिक सीमा को हटाए जाने को लेकर चर्चा जोरों पर है। कांग्रेस ने 10 अगस्त को ओबीसी से जुड़े संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए इस सीमा को हटाए जाने की वकालत की। कांग्रेस सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को हटाने पर विचार करे, ताकि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के साथ ही अन्य राज्यों में अलग-अलग समुदाय को इसका लाभ मिल सके।

सदन में पार्टी सांसद अधीर रंजन चौधरी ने संविधान विधेयक,2021 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की गल्ती के कारण ही विधेयक लाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक भी उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में चुनाव को देखते हुए लाया गया है।

‘हम इसलिए हो रहे हैं चर्ची में शामिल’
चौधरी ने कहा कि हम इस विधेयक पर चर्चा में इसलिए हिस्सा ले रहे हैं क्योंकि यह संविधान संशोधन विधेयक है। इसके लिए दो तिहाई बहुमत का समर्थन आवश्यक है। हम एक जिम्मेदार पार्टी हैं। इसलिए हम इसमें हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान कांग्रेस सांसद ने अतीत में अपनी पार्टी की सरकारों के समय ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए किए गए कार्यों के बारे में जानकारी दी।

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सरकार पर साधा निशाना
चौधरी ने कहा पीएम को नरेंद्र मोदी के कार्यों के बारे में सरकार के मंत्रियों को बोलने का पूरा अधिकार है। लेकिन आखिर इस संविधान संशोधन की नौबत क्यों आई? चौधरी ने कहा कि 2018 में 102वां संविधान संशोधन विधेयक लाया गया। लेकिन पिछडा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही राज्यों की ओबीसी सूची निर्धारित करने का अधिकार छीन लिया गया। हमने उस समय भी इस मुद्दे को उठाया था लेकिन हमारी बात अनसुनी कर दी गई। चौधरी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आपके पास बहुमत है तो सबको झुकाना चाहते हैं। लेकिन जनता की आवाज के सामने आपको झुकना पड़ा।

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