विश्व पर्यावरण दिवस : धरती को हरा-भरा बनाने के लिए किया इतना काम कि बन गए ग्रीन गुरु

ग्रीन गुरु के दिन की शुरुआत हर रोज एक पौध रोपने से होती है। वह हमेशा घर से बाहर निकलते समय पौधों को साथ ले जाना नहीं भूलते।

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मीरजापुर शहर के जेपीपुरम कालोनी निवासी अनिल सिंह के लिए हर दिन पर्यावरण दिवस है। धरा को हरा-भरा बनाने के लिए उन्होंने पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। पेड़ों के प्रति लगाव ने उन्हें इतना मशहूर किया कि लोग उन्हें ग्रीन गुरु के नाम से बुलाते हैं। उनका लक्ष्य हर दिन एक पौध लगाने का होता है।

पेशे से शिक्षक लेकिन मन, विचार और कर्म से पर्यावरण प्रहरी बन चुके अनिल कुमार सिंह अब तक पांच हजार पौधे लगा चुके हैं। साथ ही तीन हजार पौधे बांट भी चुके हैं। मड़िहान तहसील क्षेत्र के पचोखरा स्थित शांति निकेतन इंटर कालेज के अध्यापक अनिल सिंह रोजाना एक पौध लगाते हैं। शिक्षक अनिल सिंह उर्फ ग्रीन गुरु का बचपन से ही पेड़ों से खास लगाव रहा है। इंटर की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने पहली बार कलम विधि से पौधा तैयार कर उसका रोपण किया था। एक जुलाई 2015 से वन विभाग की ओर से पौधरोपण के लिए चलाए गए अभियान से वे इतने प्रभावित हुए कि हर रोज एक पौधा लगाने का संकल्प ले लिया। ग्रीन गुरु के दिन की शुरुआत हर रोज एक पौधा रोपने से होती है।

इन क्षेत्रों में भी पौधे लगा चुके हैं ग्रीन गुरु
ग्रीन गुरु कहते हैं कि पिछली पीढ़ी ने पर्यावरण को लेकर जो प्रयास किया था, वह आज हमारे दौर में है। अगर आज हम प्रयास नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ी को हरियाली और बेहतर जीवन कहां से देंगे, इसीलिए पर्यावरण के प्रति प्रेरित करने के लिए दूसरों से भी पौधे लगवाते हैं। गुरु मीरजापुर के साथ सोनभद्र, भदोही, गोरखपुर, वाराणसी, मुरादाबाद, इलाहाबाद, कानपुर, चित्रकूट के अलावा अन्य प्रदेश जैसे दिल्ली, महाराष्ट्र, उड़ीसा के विभिन्न स्थानों पर पौधे रोप चुके हैं।

घर पर ही बनाया नर्सरी, खुद तैयार करते हैं पौधे
ग्रीन गुरु के दिन की शुरुआत हर रोज एक पौध रोपने से होती है। वह हमेशा घर से बाहर निकलते समय पौधों को साथ ले जाना नहीं भूलते। इतना ही नहीं, विद्यालय पढ़ाने जाते समय भी पौधे अपने साथ ले जाते हैं। खाली जमीन पर उस पौधे को रोप देते हैं। हर रोज पौधे लगाने के लिए पहले वह नर्सरी से पौधे लाते थे। मगर समय के साथ पौधों की लागत बढ़ी तो वह खुद ही घर में पौधे तैयार करने लगे। अब इनका घर ही नर्सरी का स्वरूप है। पौधरोपण के साथ वे लोगों के बीच निश्शुल्क पौधे बांटते भी हैं।

न हौसला हारा, न निराश हुए, अकेले शुरु किया हरियाली का सफर
अकेले हरियाली का सफर शुरू करने वाले ग्रीन गुरु ने न हौसला हारा, न निराश हुए। यही वजह है कि उनका यह अभियान आज तक जारी है। आज ऐसे ही लोगों की जरूरत है, जो पर्यावरण को बचा सकते हैं। पर्यावरण के प्रति उनकी लगन देख मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ग्रीन गुरु को सम्मानित कर चुके हैं। अब तक कई संगठन की ओर से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

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