पिछले लगभग 70 वर्षों से देश में डिग्री और स्नातकोत्तर इतिहास पाठ्यक्रमों में केवल मुगल और अकबर जैसे विदेशी मुसलमान आक्रमणकारियों के इतिहास को प्राथमिकता दी जा रही है और शक्तिशाली भारतीय राजाओं के इतिहास को सीमित जगह दी गई है। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन ने अब इसे बदलने का निर्णय लिया है। अब इतिहास पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप और सम्राट विक्रमादित्य जैसे महान भारतीय राजाओं के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। पाठ्यक्रम में वेद और उपनिषद भी शामिल होंगे।
शक्तिशाली भारतीय राजाओं के इतिहास को अधिक महत्व
यूजीसी ने इतिहास का नया पाठ्यक्रम तैयार किया है। यह उन मुस्लिम आक्रमणकारियों, जिन्होंने भारत पर आक्रमण किया, हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया, हिंदुओं का नरसंहार किया, हिंदू महिलाओं पर अत्याचार किया और हिंदुओं का धर्मांतरण किया, के बजाय भारतीय राजाओं के शक्तिशाली और गौरवशाली इतिहास पर अधिक प्रकाश डालेगा। भारत के इतिहास (1206-1707 ई.) में अब अकबर और मुगलों के स्थान पर हिंदू शासक महाराणा प्रताप और राजा विक्रमादित्य जैसे राजाओं के पराक्रम को विस्तार से पढ़ाया जाएगा।
ये भी पढ़ेंः अब दिल्ली में खेला होबे! जानिये, दीदी का क्या है प्लान
वेद, उपनिषद और धार्मिक ज्ञान भी
‘आइडिया ऑफ भारत’ में राजनीतिक मुद्दों की तुलना में नए पाठ्यक्रम में धार्मिक मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा पर एक नया पाठ्यक्रम होगा। इसके जरिए ग्रेजुएशन से पहले छात्रों को धर्म के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया जाएगा। पाठ्यक्रम में प्राचीन भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी की जानकारी भी शामिल होगी। छात्रों को वेदों और उपनिषदों से परिचित कराया जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि वैदिक काल के दौरान भारत कैसा था।