गंगा-गोदावरी नदियों से निकलने वाली विषाक्त धातुओं की होगी जांच!

उत्तर भारत में गंगा और दक्षिण भारत में गोदावरी को भारत की सबसे लंबी और पवित्र नदी माना जाता है। इन नदियों में कई कारणों से प्रदूषण बढ़ रहा है।

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भारत में नदियों का जाल बिछा हुआ है। उत्तर भारत में गंगा और दक्षिण भारत में गोदावरी को भारत की सबसे लंबी और पवित्र नदी माना जाता है। इन नदियों में कई कारणों से प्रदूषण बढ़ रहा है। इस प्रदूषण को लेकर सही जानकारी प्राप्त करने के लिए बैंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान द्वारा जल्द ही एक प्रणाली स्थापित की जाएगी। यह प्रणाली नमूनों के आधार पर गंगा, कावेरी और गोदावरी नदियों में विषाक्त धातु प्रदूषण का पता लगाने में सक्षम होगी।

पानी की गुणवत्ता की होगी जांच
ट्रिपल क्वाड्रुपल मास स्पेक्ट्रोमीटर मॉडल से लैस यह सिस्टम बहुत ही कम समय में नदियों में धातुओं का पता लगाने में सक्षम होगा। इन धातुओं में कई विषाक्त भी हो सकती है। इसके लिए गंगा नदी से नमूने एकत्र किए गए हैं और जल्द ही उनका परीक्षण किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के तहत निर्धारित 17 सतत विकास लक्ष्यों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग स्वच्छ और किफायती पानी प्राप्त करने के लिए काम कर रहा है। इसके लिए नदियों में विषाक्त धातुओं का परीक्षण किया जाएगा ताकि पानी की गुणवत्ता की जांच की जा सके।

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गंगा से लिए गए 100 नमूनों की होगी जांच
परियोजना के मुख्य अन्वेषक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएससी) के सहायक प्रोफेसर संबुद्ध मिश्रा के अनुसार, धातु परीक्षण के लिए गंगा नदी से लगभग सौ नमूने पहले ही एकत्र किए जा चुके हैं। साथ ही, परीक्षण के हिस्से के रूप में, कावेरी नदी से तमिलनाडु के पिचावरम से नमूने एकत्र किए जाएंगे। ये नमूने आने वाली सर्दी में लिए जाएंगे।

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इस तरह की जाएगी जांच
इन नमूनों के परीक्षण की प्रक्रिया तीन चरणों में की पूरी की जाएगी। सबसे पहले समुद्र के पानी मे स्थित सोडियम की मात्रा नापी जाएगी। समुद्री जल के प्रभाव को शून्य करने के लिए शोधकर्ता मैट्रिक्स मिलान का उपयोग करते हैं। नमूने एकत्र करने के बाद, प्रयोगशाला में पानी के छानने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। मिश्रा ने बताया कि इसमें एक दिन का समय लगता है। उन्होंने यह भी कहा कि पानी का परीक्षण करने के बाद, उसमें विषाक्त धातुओं की मात्रा को काफी कम किया जा सकता है।

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