कुछ साल पहले तक देश में शिशु मृत्यु दर 30 प्रतिशत तक कम हो गई थी, लेकिन पिछले पांच सालों में कई राज्यों में यह सुधार बहुत धीमी गति से हो रहा है।
सेंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम द्वारा पेश किए गए डाटा से पता चला है कि पिछले पांच सालों में देश में शिशु मृत्यु दर में सुधार तो हुआ है लेकिन इसकी गति धीमी हो गई है। इसके साथ ही महत्वपूर्ण बात यह भी है कि विभिन्न राज्यों में यह दर अलग-अलग है।
केरल में शिशु मृत्यु दर सबसे कम
केरल में शिशु मृत्यु दर जहां अमेरिका के बराबर है, यानी सबसे कम है, वहीं मध्य प्रदेश में यह दर काफी ज्यादा है। इस प्रदेश में बच्चो की मृत्यु दर सभी राज्यों से ज्यादा है। इसके बाद छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के नाम आते हैं। शिशु मृत्यु दर के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए उन बच्चों को शामिल किया जाता है, जिनकी उम्र 1 साल से कम है।
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प्रदेशों की स्थिति
2009 और 20219 के बीच जहां देश में स्थिति में 30 से 50 प्रतिशत तक सुधार देखा जा रहा था, वहीं ताजा स्थिति खराब हुई है। यहां तक कि ताजा सर्वे में भारत के कई राज्यों में शिशु मृत्यु दर बांग्लादेश और नेपाल से (26 प्रतिशत) भी बदतर है। इन दोनों देशों की स्थिति पाकिस्तान के (56 प्रतिशत) मुकाबले बेहतर है। जिन प्रदेशों में बाल मृत्यु दर में धीमा सुधार देखा जा रहा है, उनमें बिहार, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।
जिन राज्यों में शिशु मृत्यु दर में कम सुधार देखा जा रहा है, उनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इन प्रदेशों में 2009 और 2014 के बीच स्थिति में काफी सुधार था, लेकिन अब यहां इसकी गति काफी धीमी हो गई है।
केरल, दिल्ली में शिशु मृत्यु दर सबसे कम 11 प्रतिशत है। दुनिया में सबसे कम शिशु मत्यु दर फिनलैंड, नौर्वे, सिंगापुर और जापान में है। हालांकि भारत में यह दर 1971 की अपेक्षा एक चौथाई कम हुई है।
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