ह्रदय रोग बना काल! जानिये, 20 वर्षों में कितने मरीजों ने तोड़ दिया दम

दुनिया 2010 की तुलना में 2025 तक कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से समय पूर्व मृत्यु दर को 25 प्रतिशत तक कम करने के लिए निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संघर्ष करेगी।

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बदलती जीवनशैली की वजह से दुनिया भर में ह्रदय संबंधित रोगों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों (सीवीडी) से होने वाली मौतें साल 1990 में 1.21 करोड़ थीं, जो साल 2021 में बढ़कर दो करोड़ तक पहुंच गईं, यानि 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया 2010 की तुलना में 2025 तक कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से समय पूर्व मृत्यु दर को 25 प्रतिशत तक कम करने के लिए निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संघर्ष करेगी।

एनसीडी के कारण होने वाली मौतें 63 प्रतिशत बढ़ीं
वहीं गैर संचारी रोग (एनसीडी) भी भारत में एक बढ़ती सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है। हाल के सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि देश में एनसीडी के कारण होने वाली मौतें 63 प्रतिशत बढ़ गई है।

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डॉक्टर की सलाह
डॉ. नरेन्द्र सैनी बताते हैं कि “यह एक चिंता की बात है कि देश में ह्रदय रोग संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं, इसलिए लोगों को अपने जीवन शैली में बदलाव लाना आवश्यक है। लोगों को अपनी दिनचर्या में योग, ध्यान, व्यायाम और स्वास्थ्यवर्धक खान-पान की आदतों को शुमार करना चाहिए।

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