केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच टकराव चरम पर है। आईटी नियमों के पालन करने में कोताही करने के बाद केंद्र सरकार ट्विटर के खिलाफ एक्शन मोड पर आ गई है। उसके खिलाफ देश भर में कई मामले दर्ज किए गए हैं। सरकार बनाम ट्विटर का मामला केवल भारत में ही नहीं है, बल्कि कई देशों में दोनों आमने-सामने आ चुके हैं। यहां तक कि अमेरिका में भी सरकार और ट्विटर के बीच लड़ाई हो चुकी है।
भारत सरकार के आईटी नियमों को मानने में आनाकानी कर रहा ट्विटर का अपना तर्क है। उसका कहना है कि इस नियम में कुछ ऐसी बातें हैं, जिससे यूजर्स की अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
भारत में यहां से बढ़ा टकराव
बता दें कि पिछले दिनों भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक टूलकिट शेयर किया था। ट्विटर ने इसके नीचे मैनीपुलेटे मीडिया का लेबल लगा दिया था। तब से सरकार और ट्विटर के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है। हालांकि देश में 26 मई से आईटी नियमों को लागू कर दिया गया है।
कई देशों में बैन
इस तरह की स्थिति पिछले साल यानी 2020 में अमेरिका में भी देखने को मिली थी। ट्विटर बनाम सरकार भारत के आलावा फ्रांस, इजरायल, रुस, साउथ कोरिया और तुर्की जैसे देशों में भी हो चुका है। इसके आलावा चीन, ईरान, मिस्र, नॉर्थ कोरिया जैसे देशों में ट्विटर को ब्लॉक भी किया जा चुका है। चीन में इस पर ऑफिशियल बैन लगा दिया गया है।
टकराव का कारण सेंसरशिप
इस तरह की लड़ाई का सबसे बड़ा कारण सेंसरशिप रहा है। उन देशों की सरकारों ने किसी न किसी तरह से ट्विटर पर अपने देश के हित में अपनी संप्रुभता को बचाने के लिए ट्विटर को नियम पालन करने के लिए मजबूर किया। यहां तक कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुले तौर पर ट्विटर की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने कई बार ट्विटर और उसके कंपनी के कर्मचारियों को धमकी भी दी थी। बहरहाल उनके बीच झगड़ा जारी ही था कि ट्विटर ने ट्रंप के अकाउंट को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया।
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के साथ टकराव
बता दें कि 2020 के जून में ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट वीडियो में भी मैनीपुलेटेड मीडिया का लेबल लगा दिया था। इसके बाद लगातार ट्विटर ने ट्रंप के विवादास्पद ट्वीट्स पर लेबल लगाना शुरू कर दिया था। अमेरिका में भले ही ट्विटर ने तत्कालीन राष्ट्रपति के खिलाफ लड़ाई लड़ी हो,लेकिन वहां ट्विटर पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया। इसका कारण यह बताया जाता है कि ट्विटर वहां की सरकार के कानून का पालन करता है। इसके साथ ही वह अपना स्टैंडर्ड को बनाए रखता है।
इसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कंपनी काफी महत्वपूर्ण मानती है। शायद यही कारण है कि उसने डोनाल्ड ट्रंप जैसी हस्ती के ट्विट पर भी फेक न्यूज का लेबल लगा दिया।
इनके अकाउंट हमेशा के लिए बंद
डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसे कई ट्वीट किए थे। जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों को देशभक्त कहा था। राष्ट्रपति का चुनाव हारने के बाद ट्रंप के सैकड़ों हिंसक समर्थक अमेरिकी कांग्रेस के कैपिटल बिल्डिंग में घुस गए थे और जमकर हिंसा किया था। इसके बाद ट्रंप का ट्विटर अकाउंट हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। ईरान के सुप्रीम कमांडर आयतोल्लाह अली खामनेई का ट्विटर अकाउंट भी ट्रंप के समर्थन में ट्वीट करने पर बैन कर दिया गया था। बाद में खबर आई थी कि अकाउंट स्पैम फैला रहा था। इसलिए उसे बंद कर दिया गया था।
इन दिशों में बढ़ रहा है टकराव
कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां डिजिटल नियमो को कड़ा किया जा रहा है, लेकिन कंपनी उनके नियमों को मानने में आनाकानी कर रही है। इस कारण दोनों में टकराव की स्थिति बन गई है। इन देशों में रुस, म्यांमार, पोलैंड, तुर्की आदि शामिल हैं। इस कारण इन देशों में भी सरकार और ट्विटर के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है।