इस युक्ति से अब हांथी नहीं रहे उत्पाती!

हाथी और के नाम पर फिल्में बनीं और कहा गया हाथी मेरे साथी। लेकिन, ये भी सच्चाई है कि देश के सात राज्य हाथियों के उत्पात से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

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मानव का बसेरा जंगलों में खिसकता जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में जानवर और मानव का टकराव होता रहा है। देश के सात राज्य इसी दिक्कत से जूझ रहे हैं। इन राज्यों में हाथियों का उत्पात बहुत अधिक है। यहां पर खादी ग्रामोद्योग ने एक ऐसी परियोजना की शुरुआत की है जिससे हाथी आते तो हैं पर गांव की सीमा से ही लौट जाते हैं।

कर्नाटक के कोडागु जिले के नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र में चार स्थानों पर पिछले महीने केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना द्वारा रि-हैब (हाथियों के मानव पर हमलों को मधुमक्खियों से कम करना) परियोजना को शुरू किया है। इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट यह आई है कि ये हाथियों को गांव की सीमा में प्रवेश से रोकने का एक अनूठा व कम लागत का प्रभावी तरीका है। इस परियोजना से जानवर और मनुष्य को संभावित संघर्ष और टकराव की क्षति से बचाया जा सकता है। इस सफलता की प्रशंसा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी की है।

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ये है परियोजना
इस परियोजना के अंतर्गत, मधुमक्खी के बक्से का बाड़ के रूप में उपयोग किया जाता है। इससे हाथियों को मानव बस्ती में प्रवेश करने से रोका जा सके और इस प्रकार जीवन और संपत्तियों के नुकसान को कम किया जा सके। हाथी मधु मक्खियों से डरते हैं, जो उनकी आँखों और सूंड के अंदरूनी हिस्से में डंक मार सकती हैं। मधुमक्खियों का झुंड भी हाथियों को सबसे ज्यादा परेशान करता है।

सफल हुए परियोजना
मधुमक्खी के बाड़ ने गांव की सीमा में हाथियों की आवाजाही को नियंत्रित कर दिया है, जो स्थानीय किसानों के लिए एक बड़ी राहत है। इन स्थानों पर स्थापित नाइट विजन कैमरों ने न केवल मानव क्षेत्रों में हाथियों की आवाजाही में तेज गिरावट दिखाई है, बल्कि मधुमक्खी के बक्सों को देखकर हाथियों के व्यवहार के अद्भुत दृश्य भी पकड़े हैं। कई हाथियों को मधु मक्खियों के डर से जंगलों में लौटते देखा गया। इसके अलावा, इन क्षेत्रों में हाथियों द्वारा फसलों या संपत्तियों का कोई विनाश नहीं हुआ है क्योंकि मधुमक्खी के बक्से को हाथियों के मार्ग पर रखा गया है।

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ये राज्य हैं सबसे अधिक प्रभावित
पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य हाथियों के उत्पात से सबसे अधिक प्रभावित हैं। अब रिहैब की पायलट परियोजना के सफल होने के बाद अन्य राज्यों में भी इसे आजमाएंगे। वर्ष 2015 से वर्तमान समय तक देश में जंगली हाथियों के साथ संघर्ष में लगभग 2400 लोग मारे गए हैं।

सुरक्षा और आवक
इस परियोजना के माध्यम से, इन क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें मधुमक्खी के बक्से प्रदान किए जाएंगे। जिनका जंगली हाथियों को भगाने के लिए उपयोग किया जाएगा। सक्सेना ने कहा कि मधु मक्खियों की पेटियों से उत्पादित शहद उनकी आय में वृद्धि करेगा और हाथियों को गांवों में प्रवेश करने से रोकेगा।

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