धरती पर नजर, नासा और इस्रो का असर! जानिये क्या है NISAR?

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नासा-इस्रो एसएआर को NASA और ISRO ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इसके द्वारा निम्न पृथ्वी कक्षा में हो रहे बदलावों पर नजर रखी जा सकेगी। NISAR 12 दिनों में पूरे ग्लोब का नक्शा तैयार करेगा और पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र, बर्फ के द्रव्यमान, वनस्पति बायोमास, समुद्र के स्तर में वृद्धि, भूजल और भूकंप, सूनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन सहित प्राकृतिक खतरों को समझने के लिए स्थानिक और अस्थायी रूप से सुसंगत डेटा प्रदान करेगा।

वेधशाला का निर्माण
इसमें एल और एस के दो सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) बैंड होते हैं, जो स्वीप सार तकनीकी के अंतर्गत कार्य करती है, जिससे उच्च रिजोल्यूशन का डेटा प्राप्त होता है। इंटीग्रेटेड रडार इंस्ट्रूमेंट स्ट्रक्चर (IRIS) और अंतरिक्ष यान बस पर लगे SAR पेलोड को वेधशाला कहा जाता है। जेट प्रपल्शन लेबोरेटरीज और इस्रो ऐसी वेधशाला को साकार कर रहे हैं जो न केवल संबंधित राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करेंगे बल्कि वैज्ञानिकों की आवश्यकता को डेटा उपलब्ध कराएगा। जिससे भूतल में होने वाले बदलावों का अध्ययन हो पाएगा।

इस साझेदारी में दोनों नासा और इस्रो दोनों का प्रमुख योगदान होगा। नासा एल-बैंड एसएआर पेलोड सिस्टम प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है जिसमें इसरो ने एस-बैंड एसएआर पेलोड की आपूर्ति की और ये दोनों एसएआर सिस्टम एक बड़े आकार (लगभग 12 मीटर व्यास) के सामान्य अनफर्ल रिफ्लेक्टर एंटीना का उपयोग करेंगे। इसके अलावा, नासा मिशन के लिए पेलोड डेटा सबसिस्टम, हाई-रेट साइंस डाउनलिंक सिस्टम, जीपीएस रिसीवर और एक सॉलिड स्टेट रिकॉर्डर सहित इंजीनियरिंग पेलोड प्रदान करेगा।

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जटिल परिस्थितियों में उच्च परिणाम
एल-बैंड और एस-बैंड में यह पहला डुअल फ्रिक्वेंसी रडार इमेजिंग मिशन होगा, जिसमें उन्नत स्वीप एसएआर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे एल एंड एस बैंड अंतरिक्ष-जनित एसएआर डेटा उच्च दोहराव चक्र, उच्च रिज़ॉल्यूशन और बड़े स्वाथ के साथ प्रदान किया जा सकेगा। जिसकी क्षमता पूर्ण-ध्रुवीय मेट्रिक और इंटरफेरोमेट्रिक मोड की होगी। यह स्थानिक और अस्थायी रूप से जटिल परिस्थितियों को अलग करने और स्पष्ट करने का एक साधन प्रदान करेगा, जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र की गड़बड़ी से लेकर बर्फ की चादर गिरना और भूकंप, सूनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन सहित प्राकृतिक खतरे शामिल हैं। इससे तेजी से परिपक्व होने वाले माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।

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