एड्स का वायरस सक्रिय होने पर जीवन भर खानी पड़ सकती है दवा

दि भारत स्काउट्स एंड गाइड्स चंद्रशेखर ओपन ग्रुप एवं सामाजिक संस्था नेताजी सुभाष चंद्र बोस युवा जागृत सेवा समिति के द्वारा एड्स पखवाड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके तहत एड्स के प्रति जागरूक किया जाएगा और एड्स की जांच भी की जाएगी।

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देश और दुनिया में लाइलाज बीमारी एड्स के कंट्रोल को लेकर जहां डब्ल्यूएचओ व भारत सरकार चिंतित है, उसी को लेकर भिवानी जिला स्वास्थ्य विभाग व सामाजिक संगठनों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम 31 दिसंबर तक जारी है।

भिवानी के सिविल सर्जन अधिकारी एवं उपायुक्त के मार्गदर्शन में दि भारत स्काउट्स एंड गाइड्स चंद्रशेखर ओपन ग्रुप एवं सामाजिक संस्था नेताजी सुभाष चंद्र बोस युवा जागृत सेवा समिति के द्वारा एड्स पखवाड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके तहत एड्स के प्रति जागरूक किया जाएगा और एड्स की जांच भी की जाएगी। पहले दिन कार्यक्रम का शुभारंभ 50 से अधिक स्काउट वॉलिंटियर व स्काउट के पदाधिकारी, ग्रुप लीडर, रोवर ने एड्स के संदेश को लेकर सबसे पहले अपनी स्वयं की जांच करवाई है। इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम इस जागरूकता पखवाड़े के शुभारंभ पर पहुंची और एड्स की जांच के लिए सैंपल लिए।

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चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान
इस बारे में भिवानी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रघुबीर शांडिल्य ने कहा कि अगर एड्स के वायरस सक्रिय हैं तो जिंदगी भर दवा खानी पड़ सकती है। इसके साथ ही जीवन शैली को सही रखना भी जरुरी है। डॉ. शांडिल्य ने कहा कि सरकार के दिशा निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इस प्रकार की कैंपेन अक्सर चलाई जाती है। उन्होंने कहा कि फिलहाल स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एक दिसंबर से 31 दिसंबर तक जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसके तहत शिक्षण संस्थान व सामाजिक संगठन व स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्काउट्स टीम द्वारा एक सराहनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने स्वयं की जांच तो करवाई है और लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता पखवड़ा शुरू किया है, यह एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि स्वयं को स्वास्थ्य की लाइन में खड़ा करने के लिए इस प्रकार की जांच करवानी चाहिए। उन्होंने बताया कि भिवानी जिले में करीब 1400 एड्स से पीड़ित मरीज हैं, जिनका इलाज विभाग द्वारा किया जा रहा है और सरकार द्वारा पीड़ित लोगों की दवा से तो सहयोग किया ही जाता है,लेकिन साथ में नियम व शर्तों के मुताबिक एड्स से पीड़ित लोगों को 2050 पेंशन भी दी जा रही है, ताकि वे एड्स का नियमित इलाज ले सकें।

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