प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले काफी समय से स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग करने का का नारा देते रहे हैं। डिजिटल लेनदेन के लिए भी प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय रुपए को बढ़ावा देने से अमेरिका की नींद उड़ गई है। बताया जा रहा है कि भारत के रुपे एटीएम कार्ड के आने से अमेरिकी व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वीसा अधिकारियों ने इस बारे में चिंता व्यक्त करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यापार प्रतिनिधियों के साथ बैठक की है। इसी से समझा जा सकता है कि वे भारत के इस एटीएम कार्ड को लेकर कितने चिंतित हैं।
Now, Visa Inc has complained to U.S. govt that India's "informal & formal" promotion of domestic payments rival RuPay hurts the U.S. giant in a key market
In 2018, Mastercard told USA govt that Modi using Nationalism to promote RuPay and that is hurting foreign payment companies
— Anshul Saxena (@AskAnshul) November 28, 2021
प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
2018 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि ‘रुपे’ कार्ड का उपयोग करना राष्ट्रीय सेवा है। उन्होंने कहा था, “सभी नागरिक सीमा पर जाकर देश की सेवा नहीं कर सकते हैं, इसलिए आपको रुपे कार्ड का उपयोग करके देश की सेवा करनी चाहिए।” बाद में यह आइडिया सोशल मीडिया पर छा गया। पीएम मोदी ने खुद घोषणा की थी कि वे ‘रुपे’ कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं।
BHIM app, UPI और जनधन खाते जैसी सुविधाओं ने भारत में बैंकिंग को सामान्य मानवी के लिए सुलभ कर दिया है। हमारा Rupay कार्ड अब पूरी दुनिया में Transaction का एक पसंदीदा माध्यम बन रहा है। अब हमारे Rupay कार्ड को दुनिया भर के बैंक और Sellers स्वीकार कर रहे हैं: PM
— PMO India (@PMOIndia) August 24, 2019
‘वीसा’ ‘मास्टरकार्ड’ को डर क्यों लगता है?
- इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए वीसा के सीईओ अल्फ्रेड कैली ने अपने अधिकारियों की बैठक बुलाई थी।
- मास्टरकार्ड ने यह भी शिकायत की है कि प्रधानमंत्री मोदी स्थानीय नेटवर्क को बढ़ावा दे रहे हैं। भारतीय एटीएम कार्ड रुपे ने भारत में वीसा और मास्टरकार्ड के विश्वव्यापी प्रचलन को चुनौती दी है।
- नवंबर 2020 तक, भारत में 952 मिलियन डेबिट और क्रेडिट लेनदेन में रुपे कार्ड का हिस्सा 63% था।
- 2017 में यह आंकड़ा मात्र 15 फीसदी था।