बच्चों को लगी डायबिटीज की नजर, हर पांचवा डायबिटीज पीड़ित भारत में

लाइफ स्टाइल बीमारी के रूप में पहचानी जानेवाली डायबिटीज बच्चों में तेजी से पनप रही है। इसे लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है।

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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच टाइप 1 डायबिटीज ने युवाओं और किशोरों की परेशानी और बढ़ा दी है। टाइप 1 डायबिटीज अबोध बालकों और बच्चों में तेजी से फैल रहा है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विश्व में डायबिटीज से पीड़ित हर पांचवा बच्चा भारत में है। इसकी गंभीरता को देखते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने दिशानिर्देश भी जारी किये हैं।

डायबिटीज दो तरह की होती है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज। भारत में लाखो बच्चे टाइप 1 डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। इसके क्या कारण हो सकती हैं, यह जानना आवश्यक है।

यह क्यों होता है?
टाइप 1 डायबिटीज वह है जो हमें अनुवांशिक तौर पर होती है। मतलब यह कि जब किसी के परिवार में माता पिता, दादा-दादी में से किसी को डायबिटीज की बिमारी रही हो तो हमारी आनेवाली पीढ़ी में डायबिटीज (शुगर) होने की संभावना ज्यादा होती है। यदि किसी व्यक्ति को वंशानुगत कारणों से डायबिटीज होती है तो इसे टाइप 1 डायबिटीज कहते हैं। दुनिया में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित सबसे ज्यादा बच्चे और किशोर भारत में रहते हैं। टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित दुनिया का हर पांचवा बच्चा या किशोर भारतीय है।

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भारत में टाइप 1 डायबिटीज की महामारी विज्ञान
ऑटोइम्यून टाइप 1 डायबिटीज आनुवांशिक संवेदनशीलता वाले लोगों में होती है, जिनमें इंसुलिन की कमी और हाइपरग्लेसेमिया प्रभावित होती है। भारत में एक लाख की जनसंख्या में T1DM के 4.9 मामले देखे गए हैं। T1DM के सबसे ज्यादा प्रकरण 10 से 14 वर्ष की आयु के बीच  के किशोरों में पाई जा रही है, हालांकि यह किसी भी उम्र में किसी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। T1DM के एंटियलजी में आनुवंशिक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। T1DM का जोखिम क्रमशः 3 प्रतिशत, 5 प्रतिशत और 8 प्रतिशत है। जब माता पिता, और भाई-बहन में किसी को शुगर की बिमारी होती है तो हमारी आनेवाली पीढ़ी में शुगर होने की संभावना बढ़ जाती है।

दिशानिर्देश जारी
टाइप 1 डायबिटीज के बढ़ते मामलों के बीच, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने टाइप 1 डायबिटीज मेलिटस (T1DM) के प्रबंधन के लिए नई दिशानिर्देश जारी किया है। जिसमें से टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और किशोरों में सबसे आम हो गया है। हालांकि, आईसीएमआर दिशानिर्देशों के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज भी अब बच्चों और किशोरों में आम होता जा रहा है।

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