देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के स्तर बढ़ने का खुालासा आम तौर पर अनेक तरह के अध्ययनों में होते रहता है। अब एक नया खुलासा हुआ है। यहां की आवोहवा इस कदर घातक है कि यहां के 75.4 प्रतिशत बच्चों को घुटन महसूस होती है।
द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट यानी टीईआरआई के एक ताजा अध्ययन में खुलासा हुआ है कि देश की राजधानी के ज्यादातर बच्चे घुटन महसूस करते हैं। 14-17 आयु वर्ग के 413 बच्चों के विस्तृत सर्वेक्षण के बाद यह खुलासा किया गया है।
सर्वेक्षण में दावा
सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि 75.4 प्रतिशत बच्चों ने सांस फूलने की शिकायत की,20.9 प्रतिशत बच्चों ने खुजली की शिकायत की, 22.3 प्रतिशत बच्चों ने नियमित रुप से सर्दी होने की शिकायत की, जबकि 20.9 प्रतिशत बच्चों ने खांसी आने की शिकायत की। टीईआरआई के इस ताजा अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली की हवा में उच्च सांद्रता है, जो बच्चों में सांस लेने की बीमारी और हृदय रोग पैदा कर रही है।
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पांच शहरों में किया गया अध्ययन
यह अध्य्यन देश के छह शहरों में किया गया। इनमें दिल्ली, लुधियाना, पटियाला, पंचकुला, विशाखापत्तनम और जैसलमेर शामिल हैं। अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने कहा कि हवा में कुछ धातुएं मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद जहरीली थीं और इसके नियमित संपर्क में रहने से स्वास्थ्य में घातक परिणाम हो सकते हैं। टेरी के एसोसिएटफेलो कन्हैया लाल ने कहा कि दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 60 यूजी/एम3 से कम हो तो इसे स्वीकार्य माना जााता है, लेकिन अगर हवा में जहरीली धातुओं की उच्च सांद्रता है तो इससे स्वास्थ्य को खतरा है।
ये हैं घातक
हवा में कैडमियम और आर्सेनिक की मात्रा में वृद्धि से समय के साथ कैंसर, गुर्दे की बीमारी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली की हवा में धातुओं का प्राथमिक स्रोत वाहनों का जमावड़ा और पड़ोसी राज्यों में औद्योगिक संचालन से निकलने वाला धुआं है।