9 जुलाई, 2021 तक देश में कुल 23 करोड़ 63 लाख राशन कार्डों में से लगभग 21 करोड़ 92 लाख (92.8%) आधार नंबर से जुड़ गए हैं। उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने 20 जुलाई को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शेष चार राज्यों असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में सभी स्तर पर इस दिशा में कार्रवाई की जा रही है ताकि प्रवासी श्रमिकों को वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम का लाभ मिल सके।
राज्यों के लिए 37,600 करोड़ रुपए के अतिरिक्त कर्ज की मंजूरी
केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम के तहत 2020-21 में राज्यों के लिए 37,600 करोड़ रुपए के अतिरिक्त कर्ज की मंजूरी दी गई है। इनमें आंध्र प्रदेश- 2,525.00 करोड़,गोवा- 223.00 करोड़, गुजरात- 4,352.00 करोड़, हरियाणा- 2,146.00 करोड़, हिमाचल प्रदेश- 438.00 करोड़, कर्नाटक- 4,509.00 करोड़, केरल- 2,261.00 करोड़, मध्य प्रदेश-2,373.00 करोड़, मणिपुर-75.00 करोड़, ओडिशा-1,429.00 करोड़, पंजाब- 1,516.00 करोड़, राजस्थान-2,731.00 करोड़, तमिलनाडु-8,813.00 करोड़, तेलंगाना-2,505.00 करोड़, त्रिपुरा- 148.00 करोड़, उत्तर प्रदेश- 4,851.00 करोड़,उत्तराखंड-702.00 करोड़ रुपए शामिल हैं।
वन नेशन वन राशन कार्ड की खास बातें
- सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार इस योजना को पूरे देश में 31 जुलाई तक लागू करना है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत शुरू की गई इस योजना के तहत राशन कार्ड धारक किसी भी राशन दुकान से राशन ले सकते हैं।
- इस योजना के तहत देश में कुल 5.25 लाख राशन की दुकानें पंजीकृत हैं।
- मजदूरों को अब दूसरे राज्यों में जाने के बाद नया राशन कार्ड बनवाने की जरुरत नहीं होगी।
- राशन केंद्र पर इस योजना के तहत बायोमेट्रिक सिस्टम के आधार पर कार्ड धारक की जानकारी सत्यापित कर उसे राशन उपलब्ध कराया जाएगा।