महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के चुनाव चिह्न धनुष-बाण के इस्तेमाल पर रोक के निर्वाचन आयोग के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि उन्होंने 30 साल तक शिवसेना चलाई है लेकिन आज अपने पिता के नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल नहीं कर सकते। जस्टिस संजीव नरुला की बेंच इस मामले पर कल यानि 15 नवंबर को भी सुनवाई करेगी।
सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे की ओर से कहा गया कि निर्वाचन आयोग के आदेश का ठाकरे और उनके राजनीतिक दल पर गंभीर परिणाम पड़ा है। निर्वाचन आयोग का आदेश अवैध है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ठाकरे के अधिकार और विवाद अभी भी खुले हैं क्योंकि निर्वाचन आयोग ने अभी तक इस मसले पर अंतिम फैसला नहीं किया है। उपचुनाव के लिए केवल अंतरिम आदेश पारित किया था जो अब समाप्त हो गया है। कोर्ट ने कहा कि ठाकरे की दलीलों को ध्यान में रखते हुए मामले में जल्द फैसला करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देना ठीक रहेगा।
शिंदे गुट ने दायर की केविएट याचिका
इस मामले में एकनाथ शिंदे गुट ने भी दिल्ली हाई कोर्ट में केविएट याचिका दायर की है। शिंदे गुट का कहना है कि कोई भी आदेश पारित करने से पहले उनका भी पक्ष सुना जाए। सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को उद्धव गुट की याचिका को खारिज करते हुए पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर निर्वाचन आयोग की कार्रवाई पर रोक से इनकार कर दिया था। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने 8 अक्टूबर को शिवसेना के चुनाव चिह्न को फ्रीज करने का आदेश दिया था। निर्वाचन आयोग ने कहा था कि शिवसेना के दोनों गुटों में से कोई भी उपचुनाव में चुनाव चिह्न धनुष-बाण का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। आयोग का ये आदेश मुंबई की अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए था। निर्वाचन आयोग के इसी आदेश को उद्धव गुट ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।